Move to Jagran APP

जानें-कब और कैसे हुई थी हनुमान की प्रभु श्रीराम से भेंट

प्रभु श्रीराम और लक्ष्मण जी को वन में माता सीता नहीं मिली तो दोनों भाई ढूंढते-ढूंढते ऋष्यमूक पर्वत जा पहुंचे। यह देख सुग्रीव भयभीत हो उठे और उन्होंने हनुमान जी से कहा-हे पवनपुत्र मेरी रक्षा करें। आप जाकर पता करें कि ये दोनों मायावी मनुष्य कौन हैं?

By Pravin KumarEdited By: Published: Tue, 25 Jan 2022 10:24 AM (IST)Updated: Tue, 25 Jan 2022 10:24 AM (IST)
जानें-कब और कैसे हुई थी हनुमान की प्रभु श्रीराम से भेंट
जानें-कब और कैसे हुई थी हनुमान की प्रभु श्रीराम से भेंट

त्रेता युग में जब प्रभु श्रीराम अपने भाई लक्ष्मण और माता सीता के साथ 14 वर्ष के वनवास पर थे। इस दौरान लंका नरेश रावण ने माता सीता का हरण कर लिया और उन्हें लंका ले गया। जब प्रभु श्रीराम और लक्ष्मण को माता सीता आश्रम में नहीं मिली तो वे वनों में उनको ढूंढने निकल पड़े। इन दिनों वानरों के नरेश बाली और सुग्रीव के मध्य युद्ध हुआ। इस युद्ध में सुग्रीव को हार का सामना करना पड़ा।

loksabha election banner

इसके बाद बाली के भय से सुग्रीव ऋष्यमूक पर्वत की गुफा में जाकर छिप गए, यह पर्वत पवन देव के राज में अवस्थित था। इस स्थान पर हनुमान जी अपने आराध्य देव प्रभु श्रीराम की तपस्या में लीन रहते थे। जब प्रभु श्रीराम और लक्ष्मण जी को वन में माता सीता नहीं मिली तो दोनों भाई ढूंढते-ढूंढते ऋष्यमूक पर्वत जा पहुंचे। यह देख सुग्रीव भयभीत हो उठे और उन्होंने हनुमान जी से कहा-हे पवनपुत्र मेरी रक्षा करें। आप जाकर पता करें कि ये दोनों मायावी मनुष्य कौन हैं? अगर बाली के भेजे दूत हैं, तो मैं यहां से यथाशीघ्र गमन कर जाऊंगा।

उस समय हनुमान जी ब्राह्मण रूप धारण कर प्रभु के पास पहुचंकर बोले-हे मानव आप दोनों कौन हैं ? और इस पर्वत पर किस उद्देश्य से पधारें हैं ? यह सुन प्रभु श्रीराम बोले-मैं अयोध्या नरेश दशरथ का अग्रज पुत्र राम और ये मेरा अनुज लक्ष्मण है। मैं अपनी भार्या (पत्नी) सीता को ढूढ़ रहा हूं, जिन्हें किसी मायावी रावण ने हर लिया है। यह सुन हनुमान जी भाव विभोर हो गए और करुणभाव में प्रभु श्रीराम के चरण में गिरकर बोले-प्रभु मुझे क्षमा कर दें, मैं निमित मात्र अपना कार्य कर रहा था।

तब प्रभु श्रीराम, हनुमान जी को हृदय से लगाकर बोले-हे वानर तुम क्षणिक मात्र भी ग्लानि या पश्चताप न करें। तुम मेरे लिए उतने ही प्रिय हो, जितने मेरे अन्य अनुज हैं। इसी दिन पहली बार हनुमान जी की मुलाकात प्रभु श्रीराम से हुई थी। तेलुगु धार्मिक ग्रंथों अनुसार, हनुमान जी अपने आराध्य देव से ज्येष्ठ महीने में मिले थें। ऋष्यमूक पर्वत भारत के दक्षिण में स्थित है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.