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जाने क्‍या है भगवान विष्णु के स्वरूप का अर्थ

भगवान विष्‍णु का स्‍वरूप बेहद मनोहारी तो है ही परंतु उनके द्वारा धारण किए गए प्रत्‍येक आभूषण और हथियारों का एक विशेष महत्‍व है।

By Molly SethEdited By: Published: Wed, 24 Jan 2018 04:56 PM (IST)Updated: Thu, 14 Feb 2019 10:14 AM (IST)
जाने क्‍या है भगवान विष्णु के स्वरूप का अर्थ
जाने क्‍या है भगवान विष्णु के स्वरूप का अर्थ

ऐसा है विष्‍णु का स्‍वरूप

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भगवान विष्णु अपने नीचे वाले बायें हाथ में पद्म यानि कमल, अपने नीचे वाले दाहिने हाथ में कौमोदकी नाम की गदा,ऊपर वाले बाएँ हाथ में पाञ्चजन्य नामक शंख और अपने ऊपर वाले दाहिने हाथ में सुदर्शन चक्र धारण किए रहते हैं। उनका सम्पूर्ण स्वरूप ज्ञानात्मक है। पुराणों में उनके द्वारा धारण किये जाने वाले आभूषणों तथा आयुधों को भी प्रतीकात्मक माना गया है। आइये जानें उनकी धारण की हुई हर वस्‍तु का वास्‍तविक अर्थ।

ये है अर्थ

विष्‍णु जी की प्रिय कौस्तुभ मणि, जगत् के निर्लेप, निर्गुण तथा निर्मल क्षेत्रज्ञ स्वरूप का प्रतीक है। उनका श्रीवत्स, प्रधान या मूल प्रकृति का प्रतीक है। कौमोदकी नाम की गदा बुद्धि का प्रतीक है। पाञ्चजन्य शंख पंचमहाभूतों के उदय का कारण और तामस अहंकार को बताता है। शार्ङ्ग धनुष इन्द्रियों को उत्पन्न करने वाला राजस अहंकार बताता है। सुदर्शन चक्र, सात्विक अहंकार का प्रतीक है। वैजयन्ती माला में पंचतन्मात्रा तथा पंचमहाभूतों का संयोग है और उसमें जड़े मुक्ता, माणिक्य, मरकत, इन्द्रनील और हीरा पांचों रत्न पंच तथ्‍यों का प्रतीकात्मक स्‍वरूप हैं। विष्‍णु जी के बाण ज्ञानेन्द्रियों तथा कर्मेन्द्रियों के प्रतीक हैं। वहीं खड्ग विद्यामय ज्ञान है जो अज्ञानमय कोश यानि म्यान से आच्छादित रहता है का प्रतीक है। इस प्रकार समस्त सृजनात्मक उपादान तत्त्वों को विष्णु जी अपने शरीर पर धारण किये रहते हैं।


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