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शनि प्रदोष व्रत पर पैराण‍िक कथा संग जरूर करें ये मंत्रोचार, पूरी होगी मनोकामना

ह‍िंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। शनिवार को जब त्रयोदशी तिथि पड़ती है तब इसे शनि प्रदोष के नाम से जाना जाता है। ऐसे में आइए जानें इससे जुड़ी पौराणिक कथा के बारे में...

By shweta.mishraEdited By: Published: Sat, 05 Aug 2017 10:14 AM (IST)Updated: Sat, 05 Aug 2017 10:14 AM (IST)
शनि प्रदोष व्रत पर पैराण‍िक कथा संग जरूर करें ये मंत्रोचार, पूरी होगी मनोकामना
शनि प्रदोष व्रत पर पैराण‍िक कथा संग जरूर करें ये मंत्रोचार, पूरी होगी मनोकामना

अनोखी पौराणिक कथा

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प्रत्येक महीने में शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष यानी क‍ि दोनों पक्षों के तेरहवें दिन अर्थात त्रयोदशी को प्रदोष व्रत होता है। वहीं जब यह त‍िथ‍ि शनिवार के दिन पड़ती है तब इसे शनि प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है। शास्‍त्रों के अनुसार इस व्रत का बड़ा महत्व है। मान्‍यता है कि‍ यह व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। वह अपने भक्‍तों पर बहुत जल्‍द प्रसन्‍न होते हैं। इसके अलावा इस व्रत को करने से संतान आद‍ि की कामना पूरी होती है। वहीं इस व्रत से जुड़ी एक अनोखी पौराणिक कथा भी है। 

आशीर्वाद की कामना से रुके

ह‍िंदू शास्‍त्रों के मुताब‍िक प्राचीनकाल में एक नगर सेठ थे। सेठजी काफी धनवान थे ले‍कि‍न उन्‍हें कोई संतान नहीं थी। ज‍िससे वह काफी दुखी रहते थे। ऐसे में एक द‍िन उन्‍होंने तीर्थयात्रा पर जाने का मन बनाया है। एक द‍िन उन्‍होंने अपना सारा काम-काज और व्‍यवसाय सब अपने नौकरों को सौंप द‍िया और पत्‍नी के साथ तीर्थ यात्रा पर न‍िकल पड़े। इस दौरान सेठ जी और उनकी पत्‍नी थोड़ी दूर ही चले थे तभी उनके नगर के अंत‍िम छोर पर एक साधु म‍िल गए। साधु जी ध्यानमग्न बैठे तभी सेठ जी ने सोचा कि‍ तीर्थ यात्रा से पहले अगर साधू से आशीर्वाद म‍िल जाए तो यात्रा सफल होगी। ऐसे में 

सेठ और सेठानी साधु के समीप आशीर्वाद की कामना से बैठ गए।

शन‍ि प्रदोष का व्रत क‍िया

इस दौरान जब साधू का ध्‍यान टूटा तो उन्‍होंने अपने समीप 

सेठ और सेठानी को बैठे देखा तो मुकुराए। साधू ने उनसे सेठ सेठानी से ब‍िना कुछ कहे बस इतना कहा क‍ि मै तुम दोनों का दुख जानता हूं। ऐसे में तुम दोनों लोग शन‍ि प्रदोष का व्रत करो तुम्‍हारी संतान की कामना पूरी होगी। इसके बाद सेठ सेठानी तीर्थयात्रा पर गए और वहां से लौटने के बाद उन लोगों ने शन‍ि प्रदोष का व्रत क‍िया। ज‍िससे उनकी मनोकामना पूरी हुई। उनके घर से पुत्र ने जन्‍म ल‍िया। ऐसे में लोग खासकर संतान की कामना से शन‍ि प्रदोष का व्रत करते हैं। इसके अलावा भी लोग ज‍िस मनोकामना से इस व्रत को रखते हैं वह पूरी होती है। 

शन‍ि प्रदोष व्रत में करें ये मंत्रोचार: 

हे रुद्रदेव शिव नमस्कार।

शिवशंकर जगगुरु नमस्कार।।  

हे नीलकंठ सुर नमस्कार।

शशि मौलि चन्द्र सुख नमस्कार।।

हे उमाकांत सुधि नमस्कार।

उग्रत्व रूप मन नमस्कार।।

ईशान ईश प्रभु नमस्कार।

विश्‍वेश्वर प्रभु शिव प्रभु शिव नमस्कार।


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