Move to Jagran APP

इस वजह से शनिदेव अपने पिता सूर्यदेव से रहते हैं नाराज, जानें-कथा

किदवंती है कि चिरकाल में भगवान सूर्य का विवाह संज्ञा से हआ। संज्ञा अपने पति के तेज से विचलित रहती थी। कालांतर में दोनों को तीन संतान की प्राप्ति हुई जो क्रमश मनु यमराज और यमुना हैं। एक बार संज्ञा अपनी याचिका लेकर अपने पिता के पास पंहुची।

By Umanath SinghEdited By: Published: Fri, 03 Dec 2021 05:32 PM (IST)Updated: Sat, 04 Dec 2021 09:19 AM (IST)
इस वजह से शनिदेव अपने पिता सूर्यदेव से रहते हैं नाराज, जानें-कथा
इस वजह से शनिदेव अपने पिता सूर्यदेव से रहते हैं नाराज, जानें-कथा

शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित है। इस दिन शनिदेव की पूजा-उपासना की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि अच्छे कर्म करने वाले को अच्छा फल देते हैं। वहीं, बुरे कर्म करने वाले को दंड देते हैं। इसके लिए शनिदेव को न्याय का देवता कहा जाता है। इनके पिता भगवान भास्कर और माता संवर्णा हैं। किदवंती है कि शनिदेव और सूर्यदेव के बीच आपसी संबंध मधुर नहीं है। कालांतर से शनिदेव अपने पिता सूर्यदेव से नाराज रहते हैं। अगर आपको पता नहीं है, तो आइए जानते हैं कि क्यों शनिदेव अपने पिता सूर्य से नाराज रहते हैं-

loksabha election banner

क्या है कथा

किदवंती है कि चिरकाल में भगवान सूर्य का विवाह संज्ञा से हआ। संज्ञा अपने पति के तेज से विचलित रहती थी। कालांतर में दोनों को तीन संतान की प्राप्ति हुई, जो क्रमश: मनु, यमराज और यमुना हैं। एक बार संज्ञा अपनी याचिका (सूर्य की तेज) लेकर अपने पिता के पास पंहुची। उस समय पिता ने यह कहकर उन्हें वापस सूर्य लोक जाने की आज्ञा दी कि अब आपका घर सूर्यलोक है। यह सुनकर संज्ञा लौटकर पुनः सूर्यलोक आ गई। उसी समय संज्ञा ने सूर्य देव से दूर रहने की सोची। इसके बाद संज्ञा ने दैविक शक्ति का उपयोग कर अपनी छवि अनुरूप संवर्णा की उत्पत्ति की। सभी जिम्मेवारी संवर्णा को सौंपकर संज्ञा तप करने चली गई।

संवर्णा ने सूर्यदेव को आभास नहीं होने दिया कि वह संज्ञा की हम साया है। कालांतर में संवर्णा से शनिदेव का जन्म हुआ। हालांकि, अति तप और भक्ति के चलते गर्भ में शनिदेव का रंग श्याम हो गया था। जब शनिदेव का जन्म हुआ, तो सूर्यदेव को संदेह हुआ कि शनिदेव उनकी संतान नहीं है। उस समय शनि की क्रोधित नजर पड़ी, तो सूर्य देव भी काले हो गए। उस समय सूर्य देव शापित चेहरा लेकर शिवजी के पास पहुंचें। जहां शिवजी ने उन्हें स्थिति से अवगत कराया। तब सूर्य देव को अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने संवर्णा से माफी मांगी। हालांकि, शनिदेव के साथ उनका संबंध मधुर नहीं हो सका।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.