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इस तरह दें सू्र्य भगवान को अर्घ्य, होती है विशेष फल की प्राप्ति

आज रविवार है यानी सूर्य देव का दिन। वेदों में सूर्य को जगत की आत्मा कहा गया है। पृथ्वी का जीवन सूर्य से ही है। वैदिक काल में सारे जगत के कर्ता धर्ता सूर्य को ही माना जाता था। सूर्य का शब्दार्थ है सर्व प्रेरक।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Sun, 22 Nov 2020 09:22 AM (IST)Updated: Sun, 22 Nov 2020 09:22 AM (IST)
इस तरह दें सू्र्य भगवान को अर्घ्य, होती है विशेष फल की प्राप्ति
इस तरह दें सू्र्य भगवान को अर्घ्य, होती है विशेष फल की प्राप्ति

आज रविवार है यानी सूर्य देव का दिन। वेदों में सूर्य को जगत की आत्मा कहा गया है। पृथ्वी का जीवन सूर्य से ही है। वैदिक काल में सारे जगत के कर्ता धर्ता सूर्य को ही माना जाता था। सूर्य का शब्दार्थ है सर्व प्रेरक। सूर्योपनिषद में सूर्य को ही संपूर्ण जगत की उत्पत्ति का एक मात्र कारण बताया गया है। हिंदू धर्म में रविवार सूर्यदेव का वार माना गया है। यह दिन सूर्यदेव को समर्पित है। मान्यता है कि अगर इस दिन सूर्यदेव की आराधना की जाए तो व्यक्ति को विशेष फल की प्राप्ति होती है। यह भी कहा जाता है कि अगर सूर्य के निमित्त दान-पुण्य किया जाए तो व्यक्ति को परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है।

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सूर्य की महिमा का वर्णन वेदों, उपनिषदों व धार्मिक ग्रंथों में किया गया है। पुराणों में सूर्यदेव की उपासना को सभी रोगों को दूर करने वाला बताया गया है। वैसे तो रविवार का दिन सूर्यदेव को समर्पित है लेकिन हर रविवार को सूर्य देव को अर्घ्य देना शुभ माना जाता है। वहीं, सूर्यदेव को अर्घ्य हर रोज भी दिया जा सकता है। तो आइए जानते हैं कि भगवान सूर्य को अर्घ्य कैसे दिया जाए।

ऐसे दें भगवान सूर्य को अर्घ्य:

  • सुबह जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त हो जाएं। फिर सूर्य भगवान को जल अर्पित करें। इसके बाद एक एक तांबे के लोटे में जल भरें। इसमें चावल और फूल डालें। फिर सूर्य को अर्घ्य दें।
  • सूर्य से संबंधित चीजें जैसे पीले या लाल वस्त्र, गेहूं, गुड़, माणिक्य, तांबे का बर्तन, आदि का दान करना शुभ होता है। व्यक्ति अपने सामर्थ्यनुसार किसी भी चीज का दान कर सकता है।
  • रविवार के दिन अगर व्यक्ति अर्घ्य देते समय सूर्य मंत्र स्तुति करें तो इससे शक्ति, बुद्धि, स्वास्थ्य और सम्मान प्राप्त होता है।
  • रविवार के दिन अगर आप भगवान सूर्य का व्रत करते हैं तो देव खुश हो जाते हैं। इस दिन सुबह के समय धूप, दीप से सूर्य देव का पूजन करना चाहिए। साथ ही एक ही समय फलाहार करना चाहिए।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। '

 


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