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Ganeshotsav 2020: गणपति को लगाएं ये भोग, तो मिलेगा नौ ग्रह शांति का वरदान

Ganeshotsav 2020विघ्नविनायक गणपति बप्पा लोगों के घरों में आ चुके हैं। विसर्जन का सिलसिला अनंत चतुर्दशी तक चलेगा। मान्यता है कि गणपति अपने भक्तों पर सुख और आंनद की बरसात करेंगे।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Mon, 24 Aug 2020 06:30 AM (IST)Updated: Mon, 24 Aug 2020 07:04 AM (IST)
Ganeshotsav 2020: गणपति को लगाएं ये भोग, तो मिलेगा नौ ग्रह शांति का वरदान
Ganeshotsav 2020: गणपति को लगाएं ये भोग, तो मिलेगा नौ ग्रह शांति का वरदान

Ganeshotsav 2020: विघ्नविनायक गणपति बप्पा लोगों के घरों में आ चुके हैं। विसर्जन का सिलसिला अनंत चतुर्दशी तक चलेगा। मान्यता है कि गणपति अपने भक्तों पर सुख और आंनद की बरसात करेंगे। मगर क्या आप जानते है कि गणपति की शास्त्रोक्त पूजा करने से आपको नवग्रहों की शांति का आशीर्वाद भी स्वतः ही मिल जाता है। कैसे गणपति देते है नवग्रहों की शांति का वरदान जानते है ज्योतिषाचार्या साक्षी शर्मा से।

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सूर्य:

गणपति को प्रथम पूज्य होने का वरदान अपने पिता भोलेनाथ से मिला है। अगर शास्त्रो की माने तो अथर्वशीर्ष में इन्हें सूर्य व चंद्रमा के रूप में संबोधित किया है। सूर्य से अधिक तेजस्वी प्रथम वंदनदेव हैं। गणपति को आटे से बने मीठे व्यंजनों का भोग लगाने से सूर्य कुंडली में जैसे भी हो अच्छा फल देने लगते हैं।

चंद्र:

इनकी रश्मि चंद्रमा के सदृश्य शीतल है। चंद्रमा को घटने और बढ़ने का आशीर्वाद गणपति ने ही दिया था। अतः गणपति को प्रसन्न करने से चंद्र के सभी दोषों से मुक्ति मिलती है। गणेश जी की शांतिपूर्ण प्रकृति का गुण शशि यानी चंद्रमा में है। वक्रतुण्ड में चंद्रमा भी समाहित हैं। गणपति को खीर का भोग लगाएं जिससे आपका चंद्र आपको अच्छे फल देगा।

मंगल:

पृथ्वी पुत्र मंगल में उत्साह का सृजन एकदंत द्वारा ही आया है। दक्षिण भारत हो या महाराष्ट्र गणपति का पूजन मंगलवार को ही किया जाता है। आटे और गुड़ से बने मोदक का भोग लगाकर आप अपने मंगल को प्रसन्न कर सकते हैं।

बुध:

बुद्धि, विवेक के देवता होने के कारण बुध ग्रह के अधिपति गणपति हैं। हरे वस्त्र और दूर्वा का संबंध बुध से होता है। इन्हें अर्पित करके गणपति से उत्तम बुद्धि का आशीर्वाद मिलता है।

बृहस्पति:

जगत का मंगल करने, साधक को निर्विघ्नता पूर्ण कार्य स्थिति प्रदान करने, विघ्नराज होने से बृहस्पति भी इनसे तुष्ट होते हैं। पीले वस्त्र और भोग चढ़ाकर गणपति साधक के बृहस्पति को भी उत्तम कर देते हैं।

शुक्र:

धन, पुत्र और ऐश्वर्य के स्वामी गणेशजी हैं, जबकि इन क्षेत्रों के ग्रह शुक्र हैं। इस तथ्य से आप भी यह जान सकते हैं कि शुक्र में शक्ति के संचालक आदिदेव हैं। शुक्र ग्रह का आशीर्वाद गणपति को सफेद पुष्प चढ़ाकर पा सकते हैं।

शनि:

धातुओं व न्याय के देव हमेशा कष्ट व विघ्न से साधक की रक्षा करते हैं, इसलिए शनि ग्रह से इनका सीधा रिश्ता है। काले तिल और काले वस्त्र अर्पित करके आप शनि देव को प्रसन्न कर सकते हैं।

राहु-केतु:

गणेशजी के जन्म में भी दो शरीर का मिलाप (पुरुष व हाथी) हुआ है। इसी प्रकार राहु-केतु की स्थिति में भी यही स्थिति विपरीत अवस्था में है अर्थात गणपति में दो शरीर व राहु-केतु के एक शरीर के दो हिस्से हैं। गणपति के दोनों हाथ राहु और केतु के परिचायक है। अतः गणपति की पूजा में नारियल अर्पित कर राहु का और फल अर्पित कर आप केतु का आशीर्वाद पा सकते हैं।

डिस्क्लेमर-

''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है. विभिन्स माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं. हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें. इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी. ''


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