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श्री कृष्ण से जुड़ी महाभारत की कथायें, आज जानें क्या था दुर्योधन से उनका रिश्ता

श्री कृष्ण आैर अर्जुन की दोस्ती के बारे में तो सभी जानते हैं पर क्या आप जानते हैं कि जिस दुर्योधन को वे बिलकुल पसंद नहीं करते थे उससे उनका गहरा रिश्ता था। क्या था वो रिश्ता।

By Molly SethEdited By: Published: Wed, 29 Aug 2018 04:21 PM (IST)Updated: Thu, 30 Aug 2018 09:32 AM (IST)
श्री कृष्ण से जुड़ी महाभारत की कथायें, आज जानें क्या था दुर्योधन से उनका रिश्ता
श्री कृष्ण से जुड़ी महाभारत की कथायें, आज जानें क्या था दुर्योधन से उनका रिश्ता

समधी थे कृष्ण आैर दुर्योधन 

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महाभारत अनेक रोचक पौराणिक कथाओं का दुर्लभ ग्रंथ है। ऐसी ही एक कथा में पता चलता है कि नापसंद करने के बावजूद भगवान श्रीकृष्ण ज्येष्ठ कौरव दुर्योधन से रिश्ते की मजबूत डोर से बंधे हुए थे। वास्तव में  दुर्योधन आैर श्री कृष्ण एक दूसरे के समधी थे। श्रीकृष्ण आैर उनकी रानी जाम्बवती के पुत्र साम्ब का विवाह दुर्योधन की पुत्री लक्ष्मणा से हुआ था। हांलाकि इस विवाह में कृष्ण जी की सहमति नहीं थी। 

प्रेम विवाह किया साम्ब ने 

कथाआें के अनुसार राजकुमारी लक्ष्मणा आैर साम्ब एक दूसरे से प्रेम करते थे। ये संबंध ना तो दुर्योधन को स्वीकार था आैर ना ही कृष्ण को इसलिए लक्ष्मणा की सहमति से उसके स्वयंवर में साम्ब ने उसका हरण कर लिया। विशेष रूप से दुर्योधन तो कभी नहीं चाहता था कि यह विवाह हो लेकिन नियति को यही पसंद था। विवाह की बात जब कौरवों को पता चली तो उन्होंने साम्ब को बंदी बना लिया। तब याादवों से सलाह कर कृष्ण ने हस्तिनापुर पर हमला करने का फैसला लिया। इस पर उनके बड़े भार्इ बलराम ने उन्हें रोक दिया आैर कहा कि उन्होंने दुर्योधन को गदा परिचालन सिखाया था इस नाते वो उनका शिष्य है। वो स्वयं हस्तिनापुर जायेंगे आैर गुरू होने के कारण बिना युद्घ के साम्ब को छुड़ा लाएंगे।

दुर्योधन को सिखाया सबक 

बलराम जब हस्तिनापुर पहुंचे तो उनका विश्वास गलत निकला आैर कौरवों ने दुर्योधन के सामने ही उनका अपमान किया। इस पर उन्होंने कौरवों के अहंकार को तोड़ कर उन्हें सबक सिखाने का फैसला किया। बलराम ने अपने हल से समूचे हस्तिनापुर को उखाड़ लिया आैर उसे कर गंगा नदी में प्रवाहित करने के लिए ले जाने लगे। इस पर दुर्योधन अपने भार्इयों के साथ बलराम के समक्ष पहुंचे आैर माफी मांगी।  इसके बाद उन्होंने साम्ब और लक्ष्मणा के विवाह को स्वीकृति दे कर उनको दंपत्ति मान लिया। साम्ब को कैद से मुक्त कर के ससम्मान बलराम के साथ विदा किया। इस तरह अनचाहे ही सही पर दुर्योधन आैर श्रीकृष्ण समधी बने।


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