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18 जनवरी 2018 से शुरू हो रहे हैं माघ नवरात्र, जाने क्‍या है इनका राज

आज से माघ माह के नवरात्र प्रारंभ हो रहे हैं इन्‍हें गुप्‍त नवरात्र कहते हैं। आइये जाने क्‍या है खास इन नवरात्रों में और कैसे होती है पूजा।

By Molly SethEdited By: Published: Thu, 18 Jan 2018 10:43 AM (IST)Updated: Thu, 18 Jan 2018 10:44 AM (IST)
18 जनवरी 2018 से शुरू हो रहे हैं माघ नवरात्र, जाने क्‍या है इनका राज
18 जनवरी 2018 से शुरू हो रहे हैं माघ नवरात्र, जाने क्‍या है इनका राज

गुप्‍त नवरात्र का विधान 

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हिन्दू धर्म में नवरात्र मां दुर्गा की साधना के लिए बेहद महत्त्वपूर्ण माने जाते हैं। नवरात्र के दौरान साधक विभिन्न तंत्र विद्याएं सीखने के लिए मां भगवती की विशेष पूजा करते हैं। तंत्र साधना आदि के लिए गुप्त नवरात्र बेहद विशेष माने जाते हैं। आषाढ़ और माघ मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली नवरात्र को गुप्त नवरात्र कहा जाता है। इस नवरात्रि के बारे में बहुत ही कम लोगों को जानकारी होती है। इस बार माघ गुप्त नवरात्र 18 जनवरी 2018 से लेकर 26 जनवरी 2018 तक रहेगी। इस दौरान अन्य नवरात्रि की तरह ही पूजन करने का विधान है। इन दिनों भी 9 दिन के उपवास का संकल्प लेते हुए प्रतिपदा यानी पहले दिन घटस्थापना करनी चाहिए। घटस्थापना के बाद प्रतिदिन सुबह और शाम मां दुर्गा की आराधना करनी चाहिए।

गुप्त नवरात्रि में पूजित देवियां

गुप्त नवरात्रि के दौरान कई साधक महाविद्या के लिए मां काली, तारादेवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी माता, छिन्न माता, त्रिपुर भैरवी मां, धुमावती माता, बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी का पूजन करते हैं। जबकि चैत्र और अश्विन मास की नवरात्रि उदय नवरात्रि के नाम से जानी जाती है। इस दौरान देवी भगवती के साधक बेहद कड़े नियम के साथ व्रत और साधना करते हैं। इस दौरान लोग दुर्लभ शक्तियों को प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। अष्टमी या नवमी के दिन कन्या-पूजन के साथ नवरात्रि व्रत का उद्यापन करना चाहिए।

गुप्त नवरात्रि पूजन है विशेष

गुप्त नवरात्रि विशेष कर तांत्रिक कियाएं, शक्ति साधनाएं, महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्व रखती है। गुप्त नवरात्र के दौरान साधक विभिन्न तंत्र विद्याएं सीखने के लिए मां भगवती की विशेष पूजा करते हैं। इस दौरान तंत्र साधना का खास महत्व होता है। आम साधक इन दिनों में सामान्य नवरात्र की तरह ही पूजा करते हैं। साधारण नवरात्रों और गुप्त नवरात्रों में सबसे बड़ा अंतर पूजा के समय का होता है। इन नौ दिन विशेष रूप से रात्रि में पूजन किया जाता है।


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