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Kharmas 2021: आज से शुरू हो रहा है खरमास, नियमित रूप से करें सूर्य चालीसा का पाठ

Kharmas 2021 इस साल खरमास की शुरूआत 16 दिसंबर से हो रही है।खरमास में नियमिततौर पर सूर्य चालीसा का पाठ करना चाहिए। ऐसा करने भगवान आदित्य सभी प्रकार के रोग-दोष से मुक्ति प्रदान करते हैं। जीवन में सकारात्मकता और सौभाग्य का आगमन होता है।

By Jeetesh KumarEdited By: Published: Thu, 16 Dec 2021 05:00 AM (IST)Updated: Thu, 16 Dec 2021 05:00 AM (IST)
Kharmas 2021: आज से शुरू हो रहा है खरमास, नियमित रूप से करें सूर्य चालीसा का पाठ

Kharmas 2021: भारतीय ज्योतिषशास्त्र और हिंदू धर्म में खरमास या मलमास का विशेष महत्व है। मान्यता है कि खरमास में सूर्य के मलीन हो जाने के कारण इस काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं करने चाहिए।इस काल में विवाह, मुण्डन, यज्ञोपवीत आदि के शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। खरमास के काल में विशेष रूप से ईश्वर आराधान और पूजन करने का विधान है। ज्योतिषाचार्यों की गणना के अनुसार इस साल खरमास की शुरूआत 16 दिसंबर से हो रही है। जो कि 14 जनवरी मकर संक्राति तक रहेगा। इस काल में नियमित रूप से नहा कर भगवान सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए। खरमास में नियमिततौर पर सूर्य चालीसा का पाठ करना चाहिए। ऐसा करने भगवान आदित्य सभी प्रकार के रोग-दोष से मुक्ति प्रदान करते हैं। जीवन में सकारात्मकता और सौभाग्य का आगमन होता है।

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सूर्य चालीसा -

दोहा

कनक बदन कुंडल मकर, मुक्ता मा ला अंग।

पद्मा सन स्थि त ध्या इए, शंख चक्र के संग।।

चौ पा ई

जय सवि ता जय जयति दि वा कर, सहस्रां शु सप्ता श्व ति मि रहर।

भा नु, पतंग, मरी ची , भा स्कर, सवि ता , हंस, सुनूर, वि भा कर।

वि वस्वा न, आदि त्य, वि कर्तन, मा र्तण्ड, हरि रूप, वि रो चन।

अम्बरमणि , खग, रवि कहला ते, वेद हि रण्यगर्भ कह गा ते।

सहस्रां शु, प्रद्यो तन, कहि कहि , मुनि गन हो त प्रसन्न मो दलहि ।

अरुण सदृश सा रथी मनो हर, हां कत हय सा ता चढ़‍ि रथ पर।

मंडल की महि मा अति न्या री , तेज रूप केरी बलि हा री ।

उच्चैश्रवा सदृश हय जो ते, देखि पुरन्दर लज्जि त हो ते।

मित्र, मरीचि , भानु, अरुण, भास्कर, सविता ,

सूर्य, अर्क, खग, कलि हर, पूषा , रवि ,

आदित्य, नामलै, हिरण्यगर्भा य नमः कहि कै।

द्वा दस ना म प्रेम सो गा वैं, मस्तक बा रह बा र नवा वै।

चार पदा रथ सो जन पा वै, दुख दा रि द्र अघ पुंज नसा वै।

नमस्का र को चमत्का र यह, वि धि हरि हर कौ कृपा सा र यह।

सेवै भा नु तुमहिं मन ला ई, अष्टसि द्धि नवनि धि तेहिं पा ई।

बा रह ना म उच्चा रन करते, सहस जनम के पा तक टरते।

उपा ख्या न जो करते तवजन, रि पु सों जमलहते सो तेहि छन।

छन सुत जुत परि वा र बढ़तु है, प्रबलमो ह को फंद कटतु है।

अर्क शी श को रक्षा करते, रवि लला ट पर नि त्य बि हरते।

सूर्य नेत्र पर नि त्य वि रा जत, कर्ण देश पर दि नकर छा जत।

भा नु ना सि का वा स करहु नि त, भा स्कर करत सदा मुख कौ हि त।

ओठ रहैं पर्जन्य हमा रे, रसना बी च ती क्ष्ण बस प्या रे।

कंठ सुवर्ण रेत की शो भा , ति ग्मतेजसः कां धे लो भा ।

पूषा बा हु मि त्र पी ठहिं पर, त्वष्टा -वरुण रहम सुउष्णकर।

युगल हा थ पर रक्षा का रन, भा नुमा न उरसर्मं सुउदरचन।

बसत ना भि आदि त्य मनो हर, कटि मंह हंस, रहत मन मुदभर।

जंघा गो पति , सवि ता बा सा , गुप्त दि वा कर करत हुला सा ।

वि वस्वा न पद की रखवा री , बा हर बसते नि त तम हा री ।

सहस्रां शु, सर्वां ग सम्हा रै, रक्षा कवच वि चि त्र वि चा रे।

अस जो जजन अपने न मा हीं , भय जग बी ज करहुं तेहि ना हीं ।

दरि द्र कुष्ट तेहिं कबहुं न व्या पै, जो जन या को मन मंह जा पै।

अंधका र जग का जो हरता , नव प्रका श से आनन्द भरता ।

ग्रह गन ग्रसि न मि टा वत जा ही , को टि बा र मैं प्रनवौं ता ही ।

मन्द सदृश सुतजग में जा के, धर्मरा ज सम अद्भुतद्भु बां के।

धन्य-धन्य तुम दि नमनि देवा , कि या करत सुरमुनि नर सेवा ।

भक्ति भा वयुत पूर्ण नि यम सों , दूर हटत सो भव के भ्रम सों ।

परम धन्य सो नर तनधा री , हैं प्रसन्न जेहि पर तम हा री ।

अरुण मा घ महं सूर्य फा ल्गुन, मध वेदां गना म रवि उदय।

भा नु उदय वैसा ख गि ना वै, ज्येष्ठ इन्द्र आषा ढ़ रवि गा वै।

यम भा दों आश्वि न हि मरेता , का ति क हो त दि वा कर नेता ।

अगहन भि न्न वि ष्णु हैं पूसहिं , पुरुष ना म रवि हैं मलमा सहिं ।

दो हा

भा नु चा ली सा प्रेम युत, गा वहिं जे नर नि त्य।

सुख सम्पत्ति लहै वि वि ध, हों हि सदा कृतकृत्य।।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'

 


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