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सूर्य को अर्घ्य देते समय इन बातों का रखें ख्याल, मिलता है विशेष महत्व

आज रविवार है यानी सूर्यदेव का दिन। आज के दिन सूर्यदेव की अराधना की जाती है। इस दिन लोग सूर्यदेव की पूजा करते हैं। कहा जाता है कि सूर्यदेव को अर्घ्य देने से वो प्रसन्न हो जाते हैं। जो लोग रविवार को सूर्यदेव की विशेष पूजा करते हैं...

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Sun, 01 Nov 2020 10:27 AM (IST)Updated: Sun, 01 Nov 2020 10:27 AM (IST)
सूर्य को अर्घ्य देते समय इन बातों का रखें ख्याल, मिलता है विशेष महत्व
सूर्य को अर्घ्य देते समय इन बातों का रखें ख्याल, मिलता है विशेष महत्व

आज रविवार है यानी सूर्यदेव का दिन। आज के दिन सूर्यदेव की अराधना की जाती है। इस दिन लोग सूर्यदेव की पूजा करते हैं। कहा जाता है कि सूर्यदेव को अर्घ्य देने से वो प्रसन्न हो जाते हैं। जो लोग रविवार को सूर्यदेव की विशेष पूजा करते हैं, उन्हें घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है और दरिद्रत से भी मुक्ति मिलती है। हालांकि, रविवार को सूर्यदेव की पूजा करते समय कुछ बातों का ख्याल रखने की आवश्यकता है। यहां हम आपको इन्हीं बातों की जानकारी दे रहे हैं।

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सूर्य को जल अर्पित करते समय इन बातों का रखें ख्याल:

1. अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य ग्रह को पिता या ज्येष्ठ का दर्जा प्राप्त होता है या कुंडली में सूर्य की स्थिति सही ना हो या उनका ताप अधिक हो तो सूर्य को अर्घ्य देने की सलाह दी जाती है।

2. सूर्य देव को सुबह 8 बजे से पहले अर्घ्य देना चाहिए। स्नानादि के बाद ही सूर्यदेव को जल अर्पित करना चाहिए।

3. अर्घ्य देने के लिए केवल तांबे के पात्र का ही इस्तेमाल करें। लेकिन यह वो पात्र न हो जिसे नियमित इस्तेमाल किया जा रहा हो। इसके लिए अलग पात्र रखें।

4. सूर्य को जल देते समय व्यक्ति का मुंह पूर्व दिशा की तरफ होना चाहिए। अगर कभी सूर्य नजर न आए तो भी इसी दिशा की तरफ मुंह कर सूर्य को अर्घ्य दें।

5. दाएं हाथ को आगे लें और फि अर्घ्य दें। इससे पुण्य प्राप्त होता है।

6. जब भी सूर्य को अर्घ्य दें तो व्यक्ति का हाथ सिर से ऊपर होना चाहिए। इससे सूर्य की सातों किरणें शरीर पर पड़ती हैं। साथ ही नवग्रह की भी कृपा भी बनी रहती है।

7. सूर्य को अर्घ्य देने के बाद तीन परिक्रमा जरूर करें।

8. जल में पुष्प और अक्षत मिलाएं और फिर अर्घ्य दें। सूर्य मंत्र का जाप भी आप इस दौरान कर सकते हैं। इससे लाभ प्राप्त होता है।

9. सूर्य को जल चढ़ाते समय सूर्य को सीधे ना देखें बल्‍कि लोटे से जो जल बह रहा हो, उसकी धार में ही सूर्य के दर्शन करें।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। ' 


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