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Karka Sankranti 2020: आज श्रावण एकादशी पर सूर्य की कर्क संक्रांति, जानें आज से क्या होंगे बदलाव

Karka Sankranti 2020 आज के दिन कामिका एकादशी है और सूर्य देव का राशि परिवर्तन है। आज सूर्य देव मिथुन राशि से कर्क राशि में प्रवेश करेंगे। इसे सूर्य की कर्क संक्रांति कहते हैं।

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Thu, 16 Jul 2020 08:40 AM (IST)Updated: Thu, 16 Jul 2020 03:57 PM (IST)
Karka Sankranti 2020: आज श्रावण एकादशी पर सूर्य की कर्क संक्रांति, जानें आज से क्या होंगे बदलाव
Karka Sankranti 2020: आज श्रावण एकादशी पर सूर्य की कर्क संक्रांति, जानें आज से क्या होंगे बदलाव

Karka Sankranti 2020: आज श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी ति​थि है। आज के दिन कामिका एकादशी है और सूर्य देव का राशि परिवर्तन है। आज सूर्य देव मिथुन राशि से कर्क राशि में प्रवेश करेंगे। इसे सूर्य की कर्क संक्रांति कहते हैं। सूर्य के कर्क संक्रांति के साथ ही दक्षिणायन का प्रारंभ हो जाएगा। अब तक सूर्य उत्तरायण थे। ज्योतिष के अनुसार, सूर्य के दक्षिणायन होने पर मांगलिक कार्य जैसे विवाह, मुंडन, उपनयन संस्कार आदि नहीं होंगे।

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कर्क संक्रांति का पुण्य काल मुहूर्त

कर्क संक्रांति 16 जुलाई 2020 गुरुवार को

कर्क संक्रांति का पुण्य काल: प्रात:काल 05 बजकर 34 मिनट से दिन में 11 बजकर 03 मिनट तक।

कर्क संक्रांति की कुल अवधि: 05 घंटे 29 मिनट।

कर्क संक्रान्ति का महा पुण्य काल: सुबह 08 बजकर 45 मिनट से दिन में 11 बजकर 03 मिनट तक।

कर्क संक्रांति की महापुण्य काल अवधि: 02 घंटे 18 मिनट।

वर्ष में दो बार सूर्य की स्थिति में बदलाव

सूर्य वर्ष में दो बार स्थिति परिवर्तन करते हैं। कर्क संक्राति पर सूर्य उत्तरायण से दक्षिणायन होते हैं और मकर संक्रांति पर दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं। सूर्य की यह स्थिति 6-6 माह तक होती है। दक्षिणायन को नकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है, इसलिए कोई भी मांगलिक कार्य नहीं होता है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, दक्षिणायन की अवधि में पितरों का दिन शुरू होता है। इस अवधि में देवताओं की रात्रि होती है। वैसे ही उत्तरायण में यह विपरीत हो जाता है।

उत्तरायण और दक्षिणायन का महत्व

उत्तरायण में दिन लंबे और रातें छोटी होती हैं। इसमें शुभ और मांगलिक कार्यों की अनु​मति होती है। वहीं दक्षिणायन के समय रातें बड़ी और दिन छोटे होते हैं। इसमें मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं।

कर्क संक्रांति में सूर्य देव 6 माह तक कर्क सहित 6 राशियों सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक तथा धनु में भ्रमण करते हैं। वहीं मकर संक्रांति में वे 6 माह तक मकर सहित कुंभ, मीन, मेष, वृष तथा मिथुन राशि में भ्रमण करते हैं।


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