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Happy Birthday M S Dhoni: मां दिउड़ी के आगे सिर झुकाते हैं धौनी, पूरी होती हैं मनोकामनाएं

Happy Birthday M S Dhoni भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धौनी का आज जन्मदिन है। इन्हें कैप्टन कूल के नाम से भी जाना जाता है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Tue, 07 Jul 2020 11:04 AM (IST)Updated: Tue, 07 Jul 2020 12:14 PM (IST)
Happy Birthday M S Dhoni: मां दिउड़ी के आगे सिर झुकाते हैं धौनी, पूरी होती हैं मनोकामनाएं
Happy Birthday M S Dhoni: मां दिउड़ी के आगे सिर झुकाते हैं धौनी, पूरी होती हैं मनोकामनाएं

Happy Birthday M S Dhoni: भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धौनी का आज जन्मदिन है। इन्हें कैप्टन कूल के नाम से भी जाना जाता है। धौनी का जन्म 7 जुलाई 1981 को रांची, झारखंड में हुआ था। इनके पिता का नाम पान सिंह और माता का नाम देवकी देवी है। महेंद्र सिंह धौनी ने भारतीय क्रिकेट टीम को सन् 2007 से लेकर सन् 2016 तक लीड किया था। इनकी राशि कर्क है। धौनी एक शानदार क्रिकेटर के साथ-साथ काफी आध्यात्मिक भी हैं। बता दें कि वह मां दिउड़ी को काफी मानते हैं। हर काम से पहले वो मां दिउड़ी के सामने सिर झुकाते हैं। आज जिन लोगों का जन्मदिन है, वे भी महेंद्र सिंह धौनी के संग अपना जन्मदिन मना रहे हैं।

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कैसे होते हैं कर्क राशि के लोग: कर्क राशि के लोगों में चंचलता, शीतलता, संवेदनशीलता और भावुकता का वास होता है। स्वभाव से यह काफी मिलनसार भी होते हैं। इनके व्यक्तिव में सूझ-बूझ का काफी समावेश होता है। हालांकि, कई बार इस राशि के लोग गुस्सा हो जाते हैं लेकिन इस तरह का व्यवहार कुछ ही समय के लिए होता है। इनका प्रदर्शन कार्यस्थल पर काफी बेहतरीन और रचनात्मक होता है।

मां दिउड़ी के सामने सिर झुकाते हैं धौनी: कैप्टन कूल यानी धौनी मां दिउड़ी को काफी मानते हैं। इनका मंदिर रांची से करीब 60 किलोमीटर दूर रांची-टाटा हाइवे पर तमाड़ में स्थित है। इस मंदिर की काफी मान्यता है। हालांकि, यह मन्दिर पहले इतना प्रसिद्ध नहीं था लेकिन इस मंदिर में धौनी के आने से यह देशभर में और प्रसिद्ध हो गया। धौनी अपने हर काम से पहले इस मंदिर में जाते हैं। वर्ष 2011 में वर्ल्ड कप जीतने के बाद भी वे अपनी पत्नी साक्षी के साथ इस मंदिर में माथा ठेकने पहुंचे थे।

मां दिउड़ी के मंदिर की बात करें तो यहां काली माता की करीब साढ़े तीन फुट ऊंची मूर्ति स्थापित है। इस मंदिर की स्थापना पूर्व मध्यकाल में तकरीबन 1300 ई. में की गई थी। इस मूर्ति की स्थापना युद्ध में परास्त होकर लौटते हुए सिंहभूम के मुंडा राजा केरा ने की थी। कहा जाता है कि मंदिर को स्थापित करने के बाद राजा केरा को उनका राज्य फिर प्राप्त हो गया था।


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