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Guru Gobind Singh Jayanti 2020: त्याग और बलिदान के मिसाल हैं गुरु गोबिंद सिंह जी, जानें उनके जीवन की 10 बातें और उपदेश

Guru Gobind Singh Jayanti 2020 आज सिखों के 10वें गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती है। उनका जन्म पौष माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को हुआ था।

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Thu, 02 Jan 2020 10:38 AM (IST)Updated: Thu, 02 Jan 2020 11:56 AM (IST)
Guru Gobind Singh Jayanti 2020: त्याग और बलिदान के मिसाल हैं गुरु गोबिंद सिंह जी, जानें उनके जीवन की 10 बातें और उपदेश
Guru Gobind Singh Jayanti 2020: त्याग और बलिदान के मिसाल हैं गुरु गोबिंद सिंह जी, जानें उनके जीवन की 10 बातें और उपदेश

Guru Gobind Singh Jayanti 2020: सिखों के 10वें गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती आज देशभर में धूमधाम से मनाई जा रही है। गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म पौष माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को 1966 में पटना साहिब में हुआ था। उनके पिता का नाम गुरु तेग बहादुर और माता का नाम गुजरी था। उनके पिता सिखों के 9वें गुरु थे। गुरु गोबिंद सिंह जी के बचपन में गोबिंद राय के नाम से बुलाया जाता था। गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती को प्रकाश पर्व के रुप में मनाया जाता है। गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती पर उनके जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें और उपदेशों को जानते हैं।

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गुरु गोबिंद सिंह जी के जीवन की महत्वपूर्ण बातें

1. गुरु गोबिंद सिंह जी पटना में तीर-कमान चलाना, बनावटी युद्ध करना इत्यादि खेल खेलते थे, जिसके कारण बच्चे उनको सरदार मानने लगे थे। अल्प आयु में ही उन्होंने फारसी, हिंदी, संस्कृत, बृज आदि भाषाएं सीख ली थीं।

2. नवंबर 1675 में औरंगजेब ने गुरु तेग बहादुर को शहीद कर दिया, जिसके बाद नौ वर्ष की अल्पायु में ही पिता की गद्दी संभाली।

3. गुरु गोबिंद सिंह जी बेहद ही निडर और बहादुर योद्धा थे। उनकी बहादुरी का अंदाजा आप इस दोहे से लगा सकते हैं, जो उनके बारे में लिखा गया है- “सवा लाख से एक लड़ाऊँ चिड़ियों सों मैं बाज तड़ऊँ तबे गोबिंदसिंह नाम कहाऊँ।”

4. गुरु गोबिंद सिंह जी आध्यात्मिक गुरु होने के साथ ही कवि और दार्शनिक भी थे। उन्होंने 1699 में बैसाखी के दिन खालसा पंथ की स्थापना की। उन्होंने हर सिख के लिए कृपाण या श्रीसाहिब धारण करना अनिवार्य कर दिया।

5. गुरु गोबिंद सिंह जी ने ही खालसा वाणी दी। जिसे "वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतह" कहा जाता है।

6. उन्होंने ही सिखों के लिए 'पांच ककार' अनिवार्य किया। इसमें सिखों के लिए केश, कड़ा, कृपाण, कंघा और कच्छा धारण करने का रिवाज है।

7. उन्‍होंने अपने धर्म की रक्षा के लिए मुगलों से लड़ते हुए पूरे परिवार का बलिदान कर दिया। उनके दो बेटे बाबा अजीत सिंह और बाबा जुझार सिंह ने चमकौर के युद्ध में शहादत प्राप्त की। वहीं, अन्य दो बेटे बाबा जोरावर सिंह और फतेह सिंह को सरहंद के नवाब ने जिंदा दीवारों में चुनवा दिया।

8. अक्टूबर 1708 को उनकी ज्योति ज्योत समा गई। इससे पहले उन्होंने कहा कि गुरु ग्रंथ साहिब ही अब से सिखों के स्थायी गुरु होंगे।

9. उन्होंने कहा था ​कि जहां पांच सिख एकत्र होंगे, वहीं वे निवास करेंगे।

10. गुरु जी ने समाज में फैले भेदभाव को खत्म कर समानता स्थापित की थी, साथ ही उनमें आत्मसम्मान तथा निडर रहने की भावना पैदा की थी।

गुरु गोबिंद सिंह जी के उपदेश

1. गुरु गोबिंद सिंह जी ने कहा है कि किसी भी व्यक्ति को डरना नहीं चाहिए और न ही उसे दूसरों को डराना चाहिए। वे कहते हैं: भै काहू को देत नहि, नहि भय मानत आन।

2. गुरु जी के जीवन दर्शन था कि धर्म का मार्ग ही सत्य का मार्ग है। सत्य की हमेशा जीत होती है।

3. ईश्वर ने मनुष्यों को इसलिए जन्म दिया है, ताकि वे संसार में अच्छे कर्म करें और बुराई से दूर रहें।

4. गुरु के बिना किसी भी व्यक्ति को ईश्वर की प्राप्ति नहीं हो सकती है।

5. मनुष्य का मनुष्य से प्रेम ही ईश्वर की भक्ति है। जरूरतमंद लोगों की मदद करें।


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