Ganeshotsav 2020: गणेश जी के साथ करें इनके पूरे परिवार की पूजा, होता है सुख-समृद्धि का आगमन
Ganeshotsav 2020 पूरे देश में गणपति बप्पा की गूंज है। गणेशोत्सव के दौरान गणेश भक्त अपने-अपने घरों में बप्पा की प्रतिमा स्थापित करते हैं। इनका ख्याल घर के सदस्य की तरह की रखा जाता
Ganeshotsav 2020: पूरे देश में गणपति बप्पा की गूंज है। गणेशोत्सव के दौरान गणेश भक्त अपने-अपने घरों में बप्पा की प्रतिमा स्थापित करते हैं। इनका ख्याल घर के सदस्य की तरह की रखा जाता है। हालांकि, गणेशोत्सव के दौरान केवल गणेश जी की ही नहीं बल्कि शिव-पार्वती और गणेश जी के पूरे परिवार की पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि अगर इस दौरान गणेश जी के पूरे परिवार की पूजा की जाए तो पूजा जल्दी सफल हो सकती है। गणेश जी के परिवार की बात करें तो उनकी दो पत्नियां हैं जिनका नाम रिद्धि-सिद्धि हैं। इनके दो पुत्र हैं जिनका नाम क्षेम और लाभ हैं। क्षेम को शुभ के नाम से जाना जाता है। कुछ मान्यताओं में गणेशजी की एक पुत्री का नाम संतोषी भी बताया गया है। अगर इन सभी की पूजा एक साथ की जाए तो ज्यादा शुभ होता है।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार, गणेशजी परिवार के देवता हैं। इनकी पूजा से घर में सुख-समृद्धि और शुभ-लाभ बना रहता है। किसी भी शुभ काम से पहले शुभ लाभ लिखा जाता है। स्वास्तिक गणेश जी का प्रतीक चिन्ह है। आइए जानते हैं गणेश जी के परिवार के बारे में:
ऐसा है गणोश जी का परिवार:
गणोश जी के परिवार में उनके पिता शिवजी, माता पार्वती, भाई कार्तिकेय स्वामी हैं। शिवजी के वाहन नंदी, माता पार्वती का शेर, कार्तिकेय का वाहन मयूर, गणेशजी का वाहन मूषक है। माना जाता है कि कार्तिकेय हैं। गणेशजी की दो पत्नियां हैं जिनका नाम रिद्धि-सिद्धि हैं। इनके दो पुत्र हैं जिनका नाम क्षेम और लाभ हैं। मान्यता है कि अगर इन सभी की पूजा एक साथ की जाए तो घर सुखों से भर जाता है।
गणेश जी का जीवन प्रबंधन:
गणेश जी के जीवन प्रबंधन की बात करें तो घर का मुखिया गंभीर स्वभाव का होना चाहिए। गणेश जी के सिर की तरह व्यक्ति की बुद्धि हाथी जैसी यानी गंभीर होनी चाहिए। घर से जुड़ी हर बात पर सभी को संभीरता से विचार करना चाहिए। हाथी कोई भी काम करे तो उसे बेहद गंभीरता से विचार करता है। ऐसे ही हाथी को क्रोध जल्दी नहीं आता है। ऐसे में हमेशा धैर्य से काम लेना चाहिए। किसी भी काम को गणेश जी की तरह यानी धैर्य और शांति के साथ गंभीर होकर करना चाहिए। इससे सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इससे जीवन में संतोष मिलता है।