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ऊर्जा: क्षमा- संसार में शांति फैलाने के लिए बदले की भावना से ऊपर उठें और सीखें दूसरों की गलतियों को माफ करना

संसार में शांति फैलाने के तरीकों में से एक है क्षमा। इसके लिए हमें बदले की भावना से ऊपर उठना होगा और दूसरों की गलतियों को माफ करना सीखना होगा। संसार की बहुत सी समस्याएं बदले की भावना से शुरू होती हैं।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Mon, 09 Aug 2021 03:24 AM (IST)Updated: Mon, 09 Aug 2021 03:24 AM (IST)
ऊर्जा: क्षमा- संसार में शांति फैलाने के लिए बदले की भावना से ऊपर उठें और सीखें दूसरों की गलतियों को माफ करना
प्रतिशोध की भावना को केवल क्षमा द्वारा ही खत्म किया जा सकता है

जब हम कभी छुट्टियों का आनंद ले रहे होते हैं तब हम ज्यादा से ज्यादा समय अपने परिवार, दोस्तों और प्रियजनों के साथ बिताते हैं। उस समय हमारा पूरा ध्यान खुशी, प्रेम और उनकी देखभाल पर केंद्रित होता है। इस प्रेम और खुशी के माहौल को हमें अपने परिवार और मित्रों तक ही सीमित नहीं रखना चाहिए, बल्कि समस्त संसार को प्रभु का एक कुटुंब मानते हुए सभी में इसे बांटना चाहिए।

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आज सारे संसार में उथल-पुथल मची हुई है। अशांति और हिंसक घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। कई बार लोगों को दुख में घिरा देखकर हम भी दर्द से भर जाते हैं। ऐसे समय में हम प्रभु से प्रार्थना करते हैं कि ये सब झगड़े-फसाद, संघर्ष, हिंसा और युद्ध आदि खत्म हों। दरअसल इन सभी समस्याओं का समाधान कहीं बाहर नहीं, बल्कि हम सबके भीतर मौजूद है। अगर हममें से प्रत्येक अपने अंतर में ध्यान-अभ्यास द्वारा शांति को प्राप्त कर ले, तब हम इसे औरों में भी फैला सकेंगे। इससे हममें से प्रत्येक व्यक्ति शांति का एक प्रकाश स्तंभ बन जाएगा और फिर धीरे-धीरे संपूर्ण विश्व में सुख-शांति फैल जाएगी।

संसार में शांति फैलाने के तरीकों में से एक है क्षमा। इसके लिए हमें बदले की भावना से ऊपर उठना होगा और दूसरों की गलतियों को माफ करना सीखना होगा। संसार की बहुत सी समस्याएं बदले की भावना से शुरू होती हैं। इसमें एक व्यक्ति दूसरे को दुख पहुंचाता है और दूसरा व्यक्ति उससे बदला लेना चाहता है। यह चक्र लगातार चलता रहता है। जब तक प्रतिशोध की यह भावना खत्म नहीं होगी और हम दूसरों को माफ करना नहीं सीखेंगे, तब तक विश्व में शांति की कामना नहीं कर सकते। प्रतिशोध की इस भावना को केवल क्षमा द्वारा ही खत्म किया जा सकता है। ऐसा होने पर संसार में प्रेम और शांति का जीवन फिर से लौट सकता है। आइए क्षमा के इस गुण को हम अपने भीतर धारण करें, ताकि यह संसार शांति और प्रेम से भर जाए।

- संत राजिंदर सिंह जी महाराज


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