Move to Jagran APP

Durga Maa Pauranik Katha: जब श्री राम मां चंडी के चरणों में अर्पित करने वाले थे अपना नेत्र, पढ़ें रामायण से जुड़ी यह कथा

Durga Maa Pauranik Katha दुर्गा मां की यह कथा रामायण से जुड़ी हुई है। जब लंकापति रावण माता सीता का हरण कर लंका ले गया था। तब ब्रह्मा जी ने रावण का वध करने के लिए श्री राम को मां चंडी की पूजा करने का सुझाव दिया था।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Fri, 04 Dec 2020 03:30 PM (IST)Updated: Fri, 04 Dec 2020 03:30 PM (IST)
Durga Maa Pauranik Katha: जब श्री राम मां चंडी के चरणों में अर्पित करने वाले थे अपना नेत्र, पढ़ें रामायण से जुड़ी यह कथा
Durga Maa Pauranik Katha: जब श्री राम मां चंडी के चरणों में अर्पित करने वाले थे अपना नेत्र

Durga Maa Pauranik Katha: दुर्गा मां की यह कथा रामायण से जुड़ी हुई है। जब लंकापति रावण माता सीता का हरण कर लंका ले गया था। तब ब्रह्मा जी ने रावण का वध करने और लंका पर विजय प्राप्त करने के लिए श्री राम को मां दुर्गा के स्वरूप मां चंडी की पूजा करने का सुझाव दिया था। इस पूजा के लिए श्री राम को मां को 108 नीलकमल के पुष्प अर्पित करने थे। ब्रह्मा जी का सुझाव मानकर श्री राम ने मां चंडी का आह्वान शुरू किया और 108 नीलकमल के फूल मंगवा लिए। जब यह बात रावण को पता चली तो उसने इस पूजा में खलल डालने की कोशिश और अपनी माया से एक नीलकमल गायब कर दिया।

loksabha election banner

मां चंडी की पूजा करते समय जब श्री राम को एक नीलकमल का पुष्प गायब होने की बात का पता चला तो श्रीराम को लगा कि उनकी पूजा सफल नहीं होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि नीलकमल का फूल बेहद दुर्लभ है और आसानी से पाया नहीं जाता है। लेकिन बाद में उन्हें याद आया कि उनके भक्त उन्हें नीलकमल से संबोधित कते हैं। ऐसे में श्री राम ने मां चंडी को नीलकमल की जगह अपना नेत्र अर्पित करने का ​फैसला किया।

श्री राम ने एक-एक कर 107 नीलकमल के पुष्प मां चंडी को अर्पित कर दिए। आखिरी फूल अर्पित करने के लिए उन्होंने अपने तरकश से तीर निकाला और अपनी आंख निकालकर मां के चरणों में चढ़ाने का फैसला लिया। श्री राम तीर से अपना नेत्र निकालने की जा रहे थे कि तभी मां जगदम्बा उनके समक्ष प्रकट हुईं। मां ने कहा कि वो उनकी पूजा से बेहद प्रसन्न हैं। ऐसे में श्री राम को उनका नेत्र अर्पित करने की आवश्यकता नहीं है। इसके बाद मां जगदम्बा ने श्रीराम को लंका विजय का आशीर्वाद प्रदान किया। फिर श्री राम ने लंका पर विजय प्राप्त कर रावण का वध किया और माता सीता को बंधनमुक्त कराया। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.