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Dharma: धर्म में मिलता है हमें समस्याओं का समाधान

Dharma धर्म ही ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा हम समस्याओं के समाधान की जड़ तक पहुंच सकते हैं। यही एक सशक्त माध्यम है जो हमें प्रतिबिंब की दुनिया से हटाकर मूल तक पहुंचा सकता है। आज हम प्रतिबिंब की छाया पर ही अपनी यात्र चला रहे हैं।

By Jeetesh KumarEdited By: Published: Thu, 25 Nov 2021 12:35 PM (IST)Updated: Thu, 25 Nov 2021 12:35 PM (IST)
Dharma: धर्म में मिलता है हमें समस्याओं का समाधान
Dharma: धर्म में मिलता है हमें समस्याओं का समाधान

धर्म ही ऐसा माध्यम है, जिसके द्वारा हम समस्याओं के समाधान की जड़ तक पहुंच सकते हैं। यही एक सशक्त माध्यम है, जो हमें प्रतिबिंब की दुनिया से हटाकर मूल तक पहुंचा सकता है। आज हम प्रतिबिंब की छाया पर ही अपनी यात्र चला रहे हैं। मूल बेचारा कहीं पड़ा है और प्रतिंबब पूजा जा रहा है। हमारा शरीर स्वस्थ रहे, यह हमारे जीवन का पहला लक्ष्य है। दूसरा लक्ष्य है मन स्वस्थ रहे, प्रसन्न रहे। तीसरा लक्ष्य है भावनाएं स्वस्थ रहें, निर्मल रहें। निषेधात्मक विचार न आएं, सकारात्मक भाव निरंतर बने रहें, मैत्री और करुणा का विकास होता रहे। ये सब जीवन के उद्यान को हरा-भरा बनाने के लिए आवश्यक हैं, परंतु जीवन-उद्यान पत्तों को सींचने से हरा-भरा नहीं होगा।

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धर्म की सच्चाई यह है कि जो धार्मिक होगा वह निश्चित ही बदलेगा। यह हो नहीं सकता कि कोई धार्मिक हो, धर्म का आचरण करता हो और उसका जीवन न बदला हो। धार्मिक होने का अर्थ ही है कि परिवर्तन की यात्र पर चल पड़ना, रूपांतरण की ओर प्रस्थान कर देना। यहां से एक नए जीवन की यात्र प्रारंभ होती है और इसमें अध्यात्म के स्पंदन जाग जाते हैं। व्यक्ति की भ्रांति टूट जाती है। बच्चा जल में प्रतिंबित चांद को देखता है और उसे पकड़ने का प्रयत्न करता है। वह मूल चांद नहीं है, उसका केवल प्रति¨बब है। समस्याएं भी जीवन के रंग हैं, प्रति¨बब हैं, मूल नहीं हैं। यदि हम मूल को देखने का प्रयत्न नहीं करेंगे और केवल प्रति¨बब को ही देखते रहेंगे तो हमें प्रति¨बब ही हाथ लगेगा, मूल नहीं मिलेगा। सत्य को खोजने का अर्थ ही है कि हम प्रति¨बब पर न अटकें, आगे बढ़ेंऔर मूल तक पहुंचने का प्रयत्न करें। प्रतिबिंबको ही मूल मानने के मिथ्या दृष्टिकोण के कारण आज हिंसा बहुत बढ़ रही है, आतंक बढ़ा है, एक-दूसरे के प्रति संदेह बढ़ा है, विश्वास घटा है। इस मिथ्या दृष्टिकोण ने मनुष्य को इतना उलझा दिया है कि वह कोई निर्णय नहीं कर पा रहा है। इसमें धर्म अवश्य ही मदद कर सकता है।

ललित गर्ग

डिस्क्लेमर

''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।''

 


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