Move to Jagran APP

Dattatreya Jayanti 2019: आज है भगवान दत्तात्रेय की जयंती, माता अनसूया के गर्भ से हुए थे प्रकट

Dattatreya Jayanti 2019 मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा को प्रदोष काल में सती अनसूया के पुत्र भगवान दत्तात्रेय का जन्म हुआ था।

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Tue, 10 Dec 2019 12:52 PM (IST)Updated: Wed, 11 Dec 2019 09:30 AM (IST)
Dattatreya Jayanti 2019: आज है भगवान दत्तात्रेय की जयंती, माता अनसूया के गर्भ से हुए थे प्रकट
Dattatreya Jayanti 2019: आज है भगवान दत्तात्रेय की जयंती, माता अनसूया के गर्भ से हुए थे प्रकट

Dattatreya Jayanti 2019: मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा को प्रदोष काल में सती अनसूया के पुत्र भगवान दत्तात्रेय का जन्म हुआ था। इस वर्ष मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा तिथि 11 दिसंबर दिन बुधवार को है, ऐसे में भगवान दत्तात्रेय की जयंती बुधवार को मनाई जाएगी। भगवान दत्तात्रेय को श्रीहरि विष्णु का अवतार माना जाता है। हालांकि शैव मत के लोग उनको भगवान शिव का अवतार मानते हैं। भगवान दत्तात्रेय ने शैव, वैष्णव और शाक्त धर्म को एक करने का कार्य भी किया था। भगवान दत्तात्रेय भक्तों के स्मरण मात्र से ही प्रसन्न होकर उनके पास पहुंच जाते हैं, इसलिए उनको स्मृतिगामी भी कहा जाता है। वह भक्तों पर अपनी कृपा बनाए रखते हैं।

loksabha election banner

ऐसे नाम पड़ा दत्तात्रेय

श्रीमद्भभगवत के अनुसार, संतान सुख की मनोकामना से महर्षि अत्रि ने व्रत किया, जिससे प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने स्वयं को उन्हें दे दिया। ऐसे कहने से भगवान विष्णु महर्षि अत्रि के पुत्र के रूप में प्रकट हुए। वे दत्त के नाम से जाने गए। महर्षि अत्रि के पुत्र होने के कारण आत्रेय कहलाए। दत्त और आत्रेय की संधि से दत्तात्रेय नाम प्रसिद्ध हुआ। भगवान दत्त के नाम पर दक्षिण भारत में दत्त संप्रदाय का आभिर्भाव हुआ।

भगवान दत्तात्रेय की पूजा से मिलता है त्रिदेव का आशीर्वाद

ऐसा भी कहा जाता है कि भगवान दत्तात्रेय ब्रह्मा, विष्णु और शिव तीनों के एक स्वरूप हैं। इनकी पूजा करने से त्रिदेव की कृपा एक समान रूप से मिलती है। भगवान दत्तात्रेय के जन्म की कथा काफी रोचक है।

भगवान दत्तात्रेय के जन्म की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार तीन देवियों को अपने सतीत्व यानी पतिव्रता धर्म पर अभिमान हो गया। तब भगवान विष्णु ने लीला रची। तब नारद जी ने तीनों लोकों का भ्रमण करते हुए देवी सरस्वती, लक्ष्मी और पार्वती जी के समक्ष अनसूया के पतिव्रता धर्म की प्रशंसा कर दी। इस पर ईष्र्यावश तीनों देवियों ने अपने पतियों से अनसूया के पतिव्रता धर्म की परीक्षा लेने की हठ की।

तब त्रिदेव ब्राह्मण के वेश में महर्षि अत्रि के आश्रम पहुंचे, तब महर्षि अत्रि घर पर नहीं थे। तीन ब्राह्मणों को देखकर अनसूया उनके पास गईं। वे उन ब्राह्मणों का आदर—सत्कार करने के लिए आगे बढ़ी तब उन ब्राह्मणों ने कहा कि जब तक वे उनको अपनी गोद में बैठाकर भोजन नहीं कराएंगी, तब तक वे उनकी आतिथ्य स्वीकार नहीं करेंगे।

उनके इस शर्त से अनसूया चिंतित हो गईं। फिर उन्होंने अपने तपोबल से उन ब्राह्मणों की सत्यता जान गईं। भगवान विष्णु और अपने पति अत्रि को स्मरण करने के बाद उन्होंने कहा कि यदि उनका पतिव्रता धर्म सत्य है तो से तीनों ब्राह्मण 6 माह के शिशु बन जाएं। अनसूया ने अपने तपोबल से त्रिदेवों को शिशु बना दिया। शिशु बनते ही तीनों रोने लगे।

तब अनसूया ने उनको अपनी गोद में लेकर दुग्धपान कराया और उन तीनों को पालने में रख दिया। उधर तीनों दे​वियां अपने पतियों के वापस न आने से चिंतित हो गईं। तब नारद जी ने उनको सारा घटनाक्रम बताया। इसके पश्चात तीनों देवियों को अपने किए पर बहुत ही पश्चाताप हुआ। उन तीनों देवियों ने अनसूया से क्षमा मांगी और अपने पतियों को मूल स्वरूप में लाने का निवेदन किया।

तब अनसूया ने अपने तपोबल से उन तीन शिशुओं को फिर से उनके पूर्व के रूप में कर दिया। तब त्रिदेव ने उनसे वर मांगने को कहा, तब अनसूया ने उन तीन देवों को पुत्र स्वरूप में पाने का वर मांगा। त्रिदेव उनको वरदान देकर अपने धाम चले गए। बाद में माता अनसूया के गर्भ से भगवान विष्णु दत्तात्रेय, भगवान शिव दुर्वासा और ब्रह्मा चंद्रमा के रूप में जन्म लिए।

कहीं कहीं यह भी पढ़ने को मिलता है कि वर प्राप्त होने के बाद माता अनसूया के गर्भ से त्रिदेव के एकल स्वरूप में भगवान दत्तात्रेय प्रकट हुए, इसलिए कहा जाता है कि भगवान दत्तात्रेय की पूजा करने से त्रिदेवों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.