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Chhath Puja Parana Time 2020: कब किया जाएगा छठ पूजा का पारण, जानें अर्घ्य का समय और मुहूर्त

Chhath Puja Parna Time 2020 उत्तर भारत और खासतौर से बिहार यूपी झारखंड में छठ पूजा का त्यौहार बेहद ही धूमधाम से मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार व्रत और त्यौहार तो कई तरह के हैं लेकिन छठ पूजा को कठिन उपवासों में से एक माना गया है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Thu, 19 Nov 2020 02:00 PM (IST)Updated: Sat, 21 Nov 2020 05:06 AM (IST)
Chhath Puja Parana Time 2020: कब किया जाएगा छठ पूजा का पारण, जानें अर्घ्य का समय और मुहूर्त
Chhath Puja Parana Time 2020: कब किया जाएगा छठ पूजा का पारण, जानें अर्घ्य का समय और मुहूर्त

Chhath Puja Parna Time 2020: उत्तर भारत और खासतौर से बिहार, यूपी, झारखंड में छठ पूजा का त्यौहार बेहद ही धूमधाम से मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, व्रत और त्यौहार तो कई तरह के हैं लेकिन छठ पूजा के व्रत को कठिन उपवासों में से एक माना गया है। इसका प्रथम दिन नहाय-खाय होता है जो कल था यानी चतुर्थी तिथि को। वहीं, दूसरा दिन लोहंडा और खरना होता है जो कि आज है यानी पंचमी तिथि को। इस व्रत का समापन सप्तमी तिथि को किया जाता है। सप्तमी तिथि को सूर्योदय के समय में उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते के बाद व्रत का पारण किया जाता है। आइए जानते हैं छठ पूजा का पारण समय।

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छठ पूजा का पारण करने का समय:

21 नवंबर 2020, शनिवार- सप्तमी (उगते सूर्य को अर्घ्य) तिथि- यह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि है। इस दिन सूर्योदय के समय सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। फिर व्रत का पारण किया जाता है। इस वर्ष छठ पूजा का सूर्योदय अर्घ्य तथा पारण 21 नवंबर को किया जाएगा। इस दिन सूर्योदय सुबह 06:49 बजे तथा सूर्योस्त शाम को 05:25 बजे होगा।

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से लेकर सप्तमी तिथि तक छठ पूजा का महापर्व मनाया जाता है। छठ पूजा के पहले दिन यानी चतुर्थी तिथि पर नहाय-खाय किया जाता है। फिर पंचमी तिथि पर लोहंडा और खरना किया जाता है। षष्ठी तिथि पर छठ पूजा की जाती है और फिर इस व्रत या पर्व का समापन सप्तमी तिथि को सूर्य को अर्घ्य देेते हुए किया जाता है। इस व्रत को छठ, सूर्य व्रत, उषा पूजा, छठी प्रकृति माई के पूजा, छठ पर्व, डाला छठ, डाला पूजा, सूर्य षष्ठी भी कहा जाता है। चार दिवसीय छठ पूजा में इमें पवित्र स्नान, उपवास और पीने के पानी से दूर रहना, लंबे समय तक पानी में खड़ा होना और प्रसाद और अर्घ्य देना शामिल है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। ' 


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