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Chaitra Amavasya 2021: इस दिन है चैत्र अमावस्या, जानें तिथि मुहूर्त एवं धार्मिक महत्व

Chaitra Amavasya 2021 एक वर्ष में 12 अमावस्या और 12 पूर्णिमा आती हैं। इस समय हिन्दी कैलेंडर का चैत्र मास चल रहा है। जागरण अध्यात्म में जानते हैं कि चैत्र अमावस्या का प्रारंभ कब से हो रहा है तिथि का समापन कब होगा और इसका महत्व क्या है।

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Wed, 07 Apr 2021 10:30 AM (IST)Updated: Thu, 08 Apr 2021 08:35 AM (IST)
Chaitra Amavasya 2021: इस दिन है चैत्र अमावस्या, जानें तिथि मुहूर्त एवं धार्मिक महत्व
Chaitra Amavasya 2021: इस दिन है चैत्र अमावस्या, जानें तिथि मुहूर्त एवं धार्मिक महत्व

Chaitra Amavasya 2021: एक वर्ष में 12 अमावस्या और 12 पूर्णिमा आती हैं। इस समय हिन्दी कैलेंडर का चैत्र मास चल रहा है। चैत्र मास की अमावस्या इस वर्ष 12 अप्रैल दिन सोमवार को है। सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस तरह से इस बार की चैत्र अमावस्या सोमवती अमावस्या है। हिन्दू धर्म में सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व होता है। जागरण अध्यात्म में जानते हैं कि चैत्र अमावस्या का प्रारंभ कब से हो रहा है, तिथि का समापन कब होगा और इसका महत्व क्या है।

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चैत्र अमावस्या 2021 तिथि मुहूर्त

चैत्र मास की अमावस्या तिथि या सोमवती अमावस्या की तिथि का प्रारंभ 11 अप्रैल को प्रात: 06 बजकर 03 मिनट से हो रहा है। इसका समापन 12 अप्रैल को सुबह 08 बजे होना है। अमावस्या के दिन नदी स्नान करने और पितरों की तृप्ति के लिए श्राद्ध कर्म करने का महत्व है।

सोमवती अमावस्या का महत्व

सोमवती अमावस्या के दिन गंगा नदी में स्नान का महत्व है। हालांकि कोरोना काल में आप अपने घर पर पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। इस दिन स्नान, दान ​आदि करने से पाप नष्ट होते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सोमवती अमावस्या को नदी स्नान से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और पितर भी संतुष्ट होते हैं। उनकी आत्मा को शांति प्राप्त होती है। इस दिन स्नान के बाद सूर्य देव को मंत्रों के साथ जल अर्पित करें। वे सभी पापों से मुक्ति प्रदान करते हैं।

सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करने का विधान है। ऐसी मान्यता है कि पीपल के पेड़ में पितर वास करते हैं। पीपल की पूजा करने से पितर प्रसन्न होते हैं और भगवान विष्णु की पूजा से उनकी कृपा मिलती है। पूजा के बाद पीपल के पेड़ की परिक्रमा की जाती है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। '


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