भाई दूज: तिलक का शुभ मुहूर्त
रिश्ते सभी अनमोल होते हैं लेकिन भाई-बहन का रिश्ता ऐसा होता है जिसे सभी रिश्तों में पवित्र माना जाता है। इसी कड़ी में कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को हिंदू धर्म का पर्व भाईदूज, जिसे यम द्वितीया भी कहते हैं, मनाया जाता है। यह पर्व इस बार 15 नवंबर को मनाया जा रहा है।
शिमला, जागरण संवाद केंद्र। रिश्ते सभी अनमोल होते हैं लेकिन भाई-बहन का रिश्ता ऐसा होता है जिसे सभी रिश्तों में पवित्र माना जाता है। इसी कड़ी में कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को हिंदू धर्म का पर्व भाईदूज, जिसे यम द्वितीया भी कहते हैं, मनाया जाता है। यह पर्व इस बार 15 नवंबर को मनाया जा रहा है। इस दिन बहन द्वारा भाई को तिलक करने के लिए सुबह 7.02 बजे से शाम 5.26 बजे तक सामान्य समय है। हालांकि 10.15 बजे से दोपहर 12 बजे तक तिलक करने के लिए अति शुभ समय है।
भाईदूज में हर बहन रोली एवं अक्षत से अपने भाई का तिलक कर उसके उज्जवल भविष्य के लिए आशीष देती हैं। भाई अपनी बहन को कुछ उपहार या दक्षिणा देता है। भाईदूज का पर्व दीवाली के दो दिन बाद आने वाला ऐसा त्योहार है जो भाई के प्रति बहन के स्नेह को अभिव्यक्त करता है एवं बहनें अपने भाई की खुशहाली के लिए कामना करती हैं।
इस त्योहार के पीछे एक किंवदंती यह है कि यम देवता ने अपनी बहन यमी (यमुना) को इसी दिन दर्शन दिया था, जो बहुत समय से उससे मिलने के लिए व्याकुल थी। अपने घर में भाई यम के आगमन पर यमुना ने प्रफुल्लित मन से उसकी आवभगत की। यम ने प्रसन्न होकर उसे वरदान दिया कि इस दिन यदि भाई व बहन दोनों एक साथ यमुना नदी में स्नान करेंगे तो उनकी मुक्ति हो जाएगी।
इसी कारण इस दिन यमुना नदी में भाई-बहन के एक साथ स्नान करने का बड़ा महत्व है। इसके अलावा यमी ने अपने भाई से यह भी वचन लिया कि जिस प्रकार आज के दिन उसका भाई यम उसके घर आया है, हर भाई अपनी बहन के घर जाए। तभी से भाईदूज मनाने की प्रथा चली आ रही है।
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