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आज होलिका दहन पर नहीं है भद्रा का साया, होली पर बन रहा है विशेष योग

पंचांग के अनुसार फाल्गुन पूर्णिमा आज है। इस दिन फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि है। इस तिथि को फाल्गुन पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन होलिका दहन किया जाएगा। हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व माना गया है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Sun, 28 Mar 2021 11:07 AM (IST)Updated: Sun, 28 Mar 2021 11:07 AM (IST)
आज होलिका दहन पर नहीं है भद्रा का साया, होली पर बन रहा है विशेष योग
आज होलिका दहन पर नहीं है भद्रा का साया, होली पर बन रहा है विशेष योग

पंचांग के अनुसार फाल्गुन पूर्णिमा आज है। इस दिन फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि है। इस तिथि को फाल्गुन पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन होलिका दहन किया जाएगा। हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व माना गया है। फाल्गुन के महीने को हिंदू कैलेंडर के अनुसार अंतिम महीना माना गया है। पूर्णिमा की तिथि इस महीने की आखिरी तिथि है ।फाल्गुन पूर्णिमा के दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। इस दिन की जाने वाली पूजा का विशेष पुण्य प्राप्त होता है। पूर्णिमा का व्रत सूर्योदय से चंद्रोदय तक रखा जाता है। पूर्णिमा का व्रत जीवन में सुख शांति और समृद्धि के लिए रखा जाता हे।

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पंडित रविकांत दीक्षित के अनुसार, होलिका दहन का शुभ मुहूर्त शाम को 6:37 मिनट से लेकर रात्रि 8:56 मिनट तक रहेगा जिसकी कुल अवधि 2 घंटे 20 मिनट की होगी, पूर्णिमा तिथि 28 मार्च 2021 को 3:27 रात्रि से प्रारंभ होकर अगले दिन 29 मार्च 2021 को रात्रि 12:17 तक रहेगा। हिंदू पंचांग के अनुसार भद्रा 28 मार्च 2021 को सुबह 10:13 से लेकर 11:16 दोपहर तक समाप्त हो जाएगा। इसलिए 28 मार्च 2021 को होलिका दहन मनाया जाएगा इस बार होली पर बन रहे हैं कई खास और दुर्लभ योग जिसमें होली का महत्व और भी बढ़ जाता है होली के दिन ध्रुव योग का निर्माण हो रहा है इस दिन चंद्रमा कन्या राशि में वही दो सबसे बड़े ग्रह गुरु एवं शनि मकर राशि में होंगे। शुक्र एवं सूर्य मीन राशि में होंगे, मंगल और राहु वृषभ राशि में ,बुध कुंभ राशि में, रहेगा, केतु वृश्चिक राशि में रहेगा। ग्रहों की ऐसी स्थिति को ध्रुव योग कहा जाता है। इस बार होली सर्वार्थ सिद्धि योग में मनाई जाएगी एवं अमृत सिद्धि योग भी रहेगा, ऐसी होली 500 वर्ष बाद मनाई जाएगी इससे पहले ऐसी होली का मुहूर्त 3 मार्च 1521 को बना हुआ था जिसमें सारे ग्रहों की स्थिति ऐसी थी तथा होली सर्वार्थ सिद्धि योग एवं अमृत योग में मनाई गई थी ,होलिका दहन पर भद्रा का कोई साया नहीं रहेगा

क्यों मनाई जाती है होली:

प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नामक एक राक्षस हुआ करता था उसकी बहन होलिका ।होली थी तथा हिरण्यकश्यप अपने आपको भगवान मानता था और उनका एक पुत्र प्रह्लाद नाम से प्रचलित था वह भगवान विष्णु का बहुत ही परम भक्त था ,हिरण्यकश्यप विष्णु का विरोधी था वह अपने पुत्र प्रह्लाद को भगवान विष्णु की भक्ति करने से मना करता था पर प्रह्लाद नेएक न सुनी और भगवान विष्णु की आराधना करते थे नाराज हिरण्यकश्यप अपने पुत्र प्रह्लाद को मारने की योजना बनाई तथा अपनी बहन होलिका से मदद मांगी ,होलिका को आग में ना जलने का वरदान था ,इसलिए होलिका प्रह्लाद को लेकर आग में बैठ गई लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद आग में सुरक्षित रहे तथा होलिका आग में जलकर राख हो गई तो इस तरह बुराई पर अच्छाई की जीत हुई इसीलिए होली का पर्व मनाया जाता है आपस में प्रेम बना रहे और एक दूसरे से सहयोग की भावना बनी रहे इसीलिए होली का पर्व मनाया जाता है।


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