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Bakrid 2022: कब है बकरीद? जानिए तारीख, महत्व और इतिहास

Bakrid 2022 बकरीद को इस्लाम में कुर्बानी और त्याग के त्योहार के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन बकरे की कुर्बानी देना शुभ माना जाता है। इस दिन बकरे की कुर्बानी देने के साथ-साथ जमात और नम़ाद अदाकर सलामती की दुआ की जाती है।

By Shivani SinghEdited By: Published: Fri, 01 Jul 2022 11:38 AM (IST)Updated: Tue, 05 Jul 2022 04:11 PM (IST)
Bakrid 2022: कब है बकरीद? जानिए तारीख, महत्व और इतिहास
Bakrid 2022: बकरीद की तिथि और रिति रिवाज़

नई दिल्ली।  Bakrid 2022: बकरीद या ईद उल-अज़हा का त्योहार मुस्लिम समुदाय के प्रमुख त्योहारों में से एक माना जाता है। इस्लामी कैलेंडर के अनुसार, आखिरी माह ज़ु अल-हज्जा में बकरीद मनाई जाती है। इस त्योहार को मुस्लिम समुदाय के लोग त्याग और कुर्बानी के तौर पर मनाते हैं। इस दिन बकरे की कुर्बानी देने के साथ-साथ जमात और नमाज अदा कर सलामती की दुआ की जाती है। आइए जानते हैं बकरीद की तिथि और उससे जुड़ी जानकारी।

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कब है बकरीद 2022?

इस्लाम का हिजरी संवत चांद पर आधारित है। इस कारण बकरीद का भी ऐलान चांद के हिसाब से ही किया जाता है। इस साल बकरीद का त्योहार 10 जुलाई 2022, रविवार को मनाया जा सकता है। बकरीद की तिथि चांद के हिसाब से 11 जुलाई को भी हो सकती है।

बकरीद का धार्मिक महत्व

इस्लाम की धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हजरत इब्राहीम अल्लाह के पैगंबर थे। एक बार अल्लाह ने उनका इम्तिहान लेना चाहा और उनसे ख्वाब के ज़रिए अपनी सबसे प्यारी चीज की कुर्बानी मांग ली। हजरत इब्राहीम अपने बेटे इस्माइल से बेहद मोहब्बत करते थे। वे उनके इकलौते बेटे भी थे और काफी समय बाद पैदा हुए थे। हजरत इब्राहीम ने फैसला लिया कि वे अल्लाह के लिए अपने इस्माइल की कुर्बानी देंगे, क्योंकि उससे ज्यादा उनको कोई प्यारा नहीं है।

हज़रत इब्राहीम जब बेटे की कुर्बानी देने जा रहे थे तो उन्हें रास्ते में एक शैतान मिला। उसने उन्हें ऐसा करने से रोका और कहां कि बेटे की कुर्बानी कौन देता है, इसकी जगह किसी जानवर को कुर्बान भी किया जा सकता है। हज़रत इब्राहीम को शैतान की बात सही लगी, लेकिन फिर उन्हें लगा कि यह अल्लाह से झूठ बोलना होगा और उसके हुक्म की नाफरमानी होगी। वे बेटे को लेकर आगे बढ़ गए।

बेटे की कुर्बानी देते वक्त उन्होंने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली ताकि बेटे का मोह अल्लाह की राह में बाधा न बने। कुर्बानी के बाद जब उन्होंने जब अपनी आंख से पट्टी हटाई तो देखकर हैरान रह गए कि उनका बेटा सही सलामत खड़ा है और उसकी जगह एक बकरा कुर्बान हो गया है। उसके बाद से ही जानवरों की कुर्बानी देने का चलन शुरू हुआ।

कुर्बानी का गोश्त तीन हिस्सों में जाता है बांटा

बकरीद के दौरान जिस बकरे की कुर्बानी दी जाती है। उसे तीन भागों में बांटा जाता है। पहला हिस्सा परिवार के लिए होता है, दूसरा हिस्सा अपने किसी करीबी को दिया जाता है और आखिरी हिस्सा किसी गरीब या फिर जरूरतमंद को दिया जाता है। दीन और नेकी की राह में कुर्बानी देने के जज्बे को दिलों में जिंदा रखते हैं और हर साल इसे मनाया जाता है।

Pic Credit- Freepik

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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