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Bakrid 2020: बकरीद की कुर्बानी में छिपा है महत्वपूर्ण संदेश? जानें इस दिन क्यों देते हैं बकरे की कुर्बानी

Bakrid 2020 बकरीद या ईद-उल-अजहा के मौके पर हम आपको बताते हैं कि इस दिन बकरे की कुर्बानी क्यों दी जाती है?

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Thu, 30 Jul 2020 09:20 AM (IST)Updated: Sat, 01 Aug 2020 06:48 AM (IST)
Bakrid 2020: बकरीद की कुर्बानी में छिपा है महत्वपूर्ण संदेश? जानें इस दिन क्यों देते हैं बकरे की कुर्बानी
Bakrid 2020: बकरीद की कुर्बानी में छिपा है महत्वपूर्ण संदेश? जानें इस दिन क्यों देते हैं बकरे की कुर्बानी

Bakrid 2020: बकरीद या ईद-उल-अजहा का पर्व इस्लामिक कैलेंडर के सबसे अंतिम माह 'जु-अल-हिज्ज' में आता है। इस बार बकरीद चांद के दिखने पर 31 जुलाई या 01 अगस्त को मनाई जाएगी। कुर्बानी का पवित्र संदेश समेटे यह पर्व खुदा की इबादत का पैगाम देता है, साथ ही लोगों को बताता है कि खुदा के दिखाए रास्ते पर चलाना चहिए और मानव सेवा में अपना सब कुछ कुर्बान कर देना चाहिए। रास्ते में आने वाले किसी भी मुश्किल से घबराना नहीं चाहिए, इसका पैगाम हमें हजरत इब्राहिम की जीवनी पढ़कर पता चलता है। बकरीद या ईद-उल-अजहा के मौके पर हम आपको बताते हैं कि इस दिन बकरे की कुर्बानी क्यों दी जाती है?

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बकरीद पर बकरे की कुर्बानी क्यों?

बकरीद के मौके पर हमने देखा है कि बकरे की कुर्बानी दी जाती है। इसके पीछे हजरत इब्राहिम के जीवन से जुड़ी एक महत्वपूर्ण घटना है। एक बार हजरत इब्राहिम ने एक सपना देखा, जिसमें वे अपने बेटे की कुर्बानी दे रहे थे। वे खुदा की इबात करने वाले और उनमें पूरा विश्वास रखने वाले शख्स थे। उन्होंने इस सपने को खुदा का पैगाम समझा और इसे पूरा करने का फैसला कर लिया।

उन्होंने खुदा के लिए अपने बच्चे को कुर्बान करने का कठोर निर्णय ले लिया। उनकी इस सच्ची इबादत और जज्बे को देखते हुए खुदा ने उनको अपने बेटे की जगह एक जानवर की कुर्बानी देने का हुक्म दिया। खुदा के हुक्म की तामील करते हुए हजरत इब्राहिम ने बेटे के जगह अपने चहेते मेमने की कुर्बानी दी। तब से बकरीद के दिन बकरे की कुर्बानी दी जाने लगी।

मुस्लिम समाज के लोग बकरीद के लिए सालभर पूर्व से ही एक बकरे को अपने बच्चे की तरह पालते हैं। फिर बकरीद के दिन उसे खुदा की राह पर कुर्बान करते हैं। बकरीद पर कुर्बानी का संदेश यह है कि आप भी हजरत इब्राहिम की तरह मानव सेवा के लिए अपना जीवन कुर्बान कर दें। जीवन के रास्ते में आने वाली सभी परेशानियों और मुश्किलों का सामना करें और उसकी शिकायत न करें। हर परिस्थिति में स्वयं को ढाल लें।


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