Apara Ekadashi Vrat katha: अपरा एकादशी पर जरूर पढ़ें व्रत कथा, मिलेगा व्रत का पूर्ण फल
Apara Ekadashi 2022 Vrat Katha ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाले एकादशी तिथि को अपरा या अचला एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन व्रत रखने के साथ भगवान विष्णु की पूजा करना करें साथ ही अपरा एकादशी व्रत की कथा जरूर सुनना चाहिए।

नई दिल्ली, Apara Ekadashi Vrat Katha: आज कई शुभ योगों के साथ एकादशी का व्रत रखा जा रहा है। आज के दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा अर्चना की जाएगी। हिंदू पंचांग के अनुसार, साल में 24 एकादशी पड़ती है। इस कारण हर मास 2 एकादशी होती है जिसमें पहली कृष्ण पक्ष और दूसरी शुक्ल पक्ष में पड़ती है। हर एक एकादशी का अपना एक महत्व है। ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अपरा या अचला एकादशी के नाम से जाना जाता है। आज भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। विधिवत तरीके से पूजा करने के साथ अपरा एकादशी व्रत कथा का पाठ जरूर करना चाहिए। जानिए अपरा एकादशी की व्रत कथा।
अपरा एकादशी शुभ मुहूर्त
ज्येष्ठ कृष्ण एकादशी तिथि प्रारंभ- 25 मई को सुबह 10 बजकर 32 मिनट से शुरू
ज्येष्ठ कृष्ण एकादशी तिथि समाप्त- 26 मई को सुबह 10 बजकर 54 मिनट तक
व्रत का पारण- 27 मई को प्रातः 05 बजकर 25 मिनट से प्रात: 08 बजकर 10 मिनट तक।
आयुष्मान योग: 25 मई रात 10 बजकर 15 मिनट से 27 अप्रैल रात 10 बजकर 8 मिनट तक
सर्वार्थ सिद्धि योग: 26 अप्रैल सुबह 5 बजकर 46 मिनट से शुरू होकर 27 मई सुबह 12 बजकर 38 मिनट तक
अपरा एकादशी व्रत कथा
प्राचीन काल में महीध्वज नामक एक धर्मात्मा राजा था। उसका छोटा भाई वज्र ध्वज बड़ा ही क्रूर और अधर्मी था। छोटा भाई बड़े भाई को मारना चाहता था। एक दिन रात्रि में उस पापी ने बड़े भाई महीध्वज की हत्या कर दी। उसने शव को जंगल में एक पीपल के नीचे गाड़ दिया। अकाल मृत्यु से राजा प्रेतात्मा के रूप में उसी पीपल पर रहने लगा।
प्रेतात्मा होने की वजह से वह वहां उत्पात करने लगा। एक दिन धौम्य नामक ऋषि पीपल के समीप से गुजरे, तो उन्होंने प्रेत को देखा। ऋषि ने अपने तपोबल से प्रेत के उत्पात का कारण समझा। सब कुछ जान लेने के बाद ऋषि ने उस प्रेत को पीपल के पेड़ से उतारा और परलोक विद्या का उपदेश दिया।
दयालु ऋषि ने राजा की प्रेत योनि से मुक्ति दिलाने के लिए स्वयं ही अपरा एकादशी का व्रत किया, जिसके पुण्य के परिणाम स्वरूप राजा को प्रेत योनि से मुक्ति मिल गई। वह ऋषि को धन्यवाद देकर स्वर्ग को चला गया। अपरा एकादशी की कथा पढ़ने अथवा सुनने से मनुष्य सब पापों से मुक्त हो जाता है।
Pic Credit- Instagram/_jadevine15_
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Edited By Shivani Singh