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सिंहस्थ में सात चरण पादुकाओं की सुरक्षा करेंगे 1700 नागा कमांडो

सिंहस्थ में अपने गुरुओं की बेशकीमती चरण पादुकाओं की सुरक्षा के लिए सात संन्यासी अखाड़ों के 1700 नागा कमांडो तैनात होंगे। सात गुरुओं की सात चरण पादुकाएं और गुरु महाराज के मंदिर अखाड़ों के भीतर मुख्य स्थान पर होंगे। मंदिर के पास सोने-चांदी और रत्नजड़ित सिंहासन रखे होंगे। इन्हीं पर

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 25 Dec 2015 03:50 PM (IST)Updated: Fri, 25 Dec 2015 03:52 PM (IST)
सिंहस्थ में सात चरण पादुकाओं की सुरक्षा करेंगे 1700 नागा कमांडो

उज्जैन। सिंहस्थ में अपने गुरुओं की बेशकीमती चरण पादुकाओं की सुरक्षा के लिए सात संन्यासी अखाड़ों के 1700 नागा कमांडो तैनात होंगे। सात गुरुओं की सात चरण पादुकाएं और गुरु महाराज के मंदिर अखाड़ों के भीतर मुख्य स्थान पर होंगे। मंदिर के पास सोने-चांदी और रत्नजड़ित सिंहासन रखे होंगे। इन्हीं पर चरण पादुकाएं रखी जाएंगी।

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इनके दर्शन करने के लिए बाहरी व्यक्ति को त्रिस्तरीय सुरक्षा जांच से गुजरना होगा। इस बार सिंहस्थ में संन्यासी अखाड़ों के पांच लाख नागा साधुओं के आने की संभावना है। दरअसल, तीन वैष्णव, तीन उदासीन और सात संन्यासी अखाड़ों में से केवल संन्यासी अखाड़ों में स्वयं की सुरक्षा व्यवस्था की परंपरा है। ये पुलिस प्रशासन के अलावा अपनी अलग सुरक्षा व्यवस्था भी करते हैं।

धर्मध्वजा स्थापित होते ही पहरा

निरंजनी अखाड़े के व्यवस्थापक राजेश व्यास के अनुसार छावनी (शिविर) के भीतर धर्मध्वजा की स्थापना के बाद कड़ा पहरा शुरू हो जाएगा। सुरक्षा कवच इतना मजबूत होगा कि वहां पहुंचना आसान नहीं होगा। इसके अलावा कमांडो पेशवाई के दौरान भी व्यवस्था संभालेंगे।

खुद का पिंडदान कर बनते हैं कमांडो

नागा संत एवं दत्त अखाड़े के पुजारी आनंद पुरी के अनुसार सुरक्षा व्यवस्था में लगे नागा साधुओं की ट्रेनिंग बहुत सख्त होती है। उन्हें कमांडो की तरह ट्रेनिंग दी जाती है। दीक्षा के पूर्व उन्हें स्वयं का पिंडदान और श्राद्ध तर्पण करना पड़ता है।

एक लाख संन्यासियों में केवल 300-400 नागा संतों का ही कमांडो के लिए चयन हो पाता है। ड्रेस से पहचाने जाएंगे कोतवाल और कमांडो को अन्य साधुओं से अलग करने के लिए ड्रेस का प्रावधान किया गया है। कोतवाल भगवा धोती-कुर्ता के साथ खास तरह का दुशाला धारण करेंगे। उनके हाथों में चांदी की छड़ी होगी, जबकि कमांडो केवल भगवा सोला में होंगे। परिचय पत्र सभी के पास होगा। हथियारों के साथ पहरा शिविर के बाहर तैनात नागा कमांडो के पास तलवार, फरसा, त्रिशूल, भाला, बरछी जैसे पारंपरिक हथियारों के अलावा आधुनिक असलहे भी हो सकते हैं।

संतों के तेरह अखाड़ों में सिर्फ सात संन्यासी, तीन उदासीन और तीन वैष्णव अणि अखाड़े हैं। संन्यासी अखाड़ा दशनामी जूना अखाड़ा, श्री निरंजनी तपोनिधि अखाड़ा, महानिर्वाणी, अटल अखाड़ा, अग्नि अखाड़ा, आनंद एवं आवाहन अखाड़ा में ही नागा पंथ की दीक्षा दी जाती हैं।

चूक पर दो घंटे ठंडे पानी से स्नान की सजा

अखाड़ों के साधुओं के चोरी, मारपीट और अनैतिक कार्यों में लिप्त पाए जाने पर कमांडो कोतवाल के जरिये पंच परमेश्वर (ज्यूडिशियरी बॉडी) के पास रिपोर्ट करेंगे। पंच परमेश्वर मामले में सुनवाई करेंगे।दोषी सिद्ध होने पर संबंधित को ठंडे पानी में दो घंटे स्नान, अखाड़ों का काम करने की सजा दी जा सकती है। गंभीर आरोप पर बाहर का रास्ता भी दिखा दिया जाता है। महंत डोंगरजी महाराज, श्री निरंजनी अखाड़ा

कमांडो जैसी ट्रेनिंग

नागा कमांडो शिविर के बाहर पूरी तरह मुस्तैद रहेंगे। कोई भी अजनबी जांच के बगैर अंदर प्रवेश नहीं कर पाएगा।महंत हरि गिरिजी महाराज, महासचिव, अभा, अखाड़ा परिषद एवं मुख्य संरक्षक जूना अखाड़ा


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