Yogini Ekadashi 2020: जानें, क्यों किया जाता है योगिनी एकादशी और क्या है इसकी कथा
Yogini Ekadashi 2020 अगर कोई व्यक्ति सच्ची श्रद्धा से योगिनी एकादशी के दिन भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा करता है तो उसकी सभी मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होती हैं।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Yogini Ekadashi 2020: 17 जून को योगिनी एकादशी है। इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा-उपासना की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि इस व्रत के पुण्य-प्रताप से व्यक्ति को समस्त पापों से मुक्ति मिलती है। कालांतर से इस व्रत को मनाने का विधान है। अगर कोई व्यक्ति सच्ची श्रद्धा से योगिनी एकादशी के दिन भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा करता है तो उसकी सभी मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होती हैं। आइए, योगिनी एकादशी की कथा और महत्व जानते हैं-
योगिनी एकादशी की कथा
पौराणिक कथा अनुसार, चिरकाल में कुबेर नामक राजा स्वर्ग की नगरी अलकापुरी में राज करता था, जो कि महादेव के परम और अनन्य भक्त था। वह प्रतिदिन महादेव की पूजा करता था। एक बार की बात है जब माली हेम पुष्प देने राज दरबार नहीं आया, जिस कारण राजा कुबेर समय पर महादेव की पूजा नहीं कर पाए। उस समय उन्होंने अपने दरबारियों को माली हेम की सुध लेने की आज्ञा दी।
राजा के वचनानुसार, सैनिक हेम के घर पहुंचे। जहां हेम अपनी पत्नी के साथ प्रेम-क्रीड़ा में मगन था। यह देख सैनिक लौट आए और राजा कुबेर को हेम की दुःसाहस के बारे में जानकारी दी। इससे राजा कुबेर क्रोधित हो उठे और उन्होंने तत्काल माली हेम को शाप दे दिया कि वह पृथ्वी पर कुष्ठ रोगी बन पत्नी वियोग में तड़पेगा।
राजा कुबेर के शाप से माली हेम पृथ्वी पर कुष्ठ रोगी बन जीवन यापन करने लगा। इसी क्रम में एक दिन वह ऋषि मार्कण्डेय आश्रम जा पहुंचा। उस समय उन्होंने अपनी व्यथा ऋषि मार्कण्डेय को सुनाई। तब ऋषि मार्कण्डेय ने कहा- हे माली! तुमने अपने जीवन के बारे में सत्य जानकारी दी है। अतः मैं तुम्हें इसका निवारण बता रहा हूं।
तुम योगनी एकादशी का व्रत करो। इस व्रत के पुण्य प्रताप से तुम्हारा तुम्हें पापों से मुक्ति मिल जाएगी। ऋषि मार्कण्डेय वचनानुसार, योगिनी एकादशी का व्रत किया। इसके पुण्य प्रताप से माली हेम का कुष्ठ रोग ठीक हो गया और शाप से मुक्ति मिल गई।