शुक्रवार को संतोषी माता के व्रत आैर पूजा में इन बातों का रखें खास ध्यान
शुक्रवार को देवी का पूजन करने का विधान है आैर संतोषी माता उन्हीं का एक स्वरूप हैं तो जानें उनके व्रत और पूजा का विशेष विधान आैर प्राप्त करें मां का आर्शिवाद।
संतोषी माता व्रत पूजा का महत्व
ऐसा माना जाता है कि शुक्रवार को मां संतोषी का व्रत करने से मनोकामना पूरी होती है और संतोष की प्राप्ति होती है, इसीलिए इन देवी का नाम संतोषी है। संतोषी माता अपने भक्तों के दुख दर्द को दूर करके उनके दुर्भाग्य को हर लेती हैं और सुख समृद्धि का वरदान देती हैं। कहते हैं कि यदि 16 शुक्रवार तक मां का व्रत पूजन किया जाए तो भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं। इस व्रत में सबसे महत्वपूर्ण है इसका विशेष विधान जिसका पालन करना अनिवार्य है वरना मां रुष्ट हो सकती हैं। जानें क्या है संतोषी मां की पूजा का विधान।
ऐसे करें पूजा
शुक्रवार के दिन सूर्योदय से पूर्व उठ कर घर की सफाई करें और स्नानादि से निवृत्त हो हो कर पूजाघर में संतोषी माता की मूर्ति या चित्र की स्थापना करें। पूजा की सारी सामग्री तथा किसी बड़े पात्र में शुद्ध जल भरकर पूजा स्थल पर रखें। जल भरे पात्र पर गुड़ और चने से भरकर दूसरा पात्र रखें। अब माता पर जल चढ़ा कर सिंदूर, वस्त्र, और गुड़ चने के साथ मांता की पूजा करें। इसके बाद संतोषी माता की कथा का पाठ करें या सुनें, फिर आरती कर सभी को गुड़-चने का प्रसाद बांटें। बड़े पात्र में भरे जल को घर में सभी स्थानों पर छिड़क दें तथा शेष जल को तुलसी के पौधे में डाल दें। इस दिन व्रत रखें और 16 शुक्रवार तक व्रत का पालन करके उद्यापन करें।
ध्यान रखने योग्य बातें
उद्यापन वाले दिन भी संतोषी माता की पूजा कर कम से कम 8 बालकों को खीर-पूरी का भोजन करायें और दक्षिणा व केले का प्रसाद देकर उन्हें विदा करें। अंत में स्वयं भोजन ग्रहण करें। शुक्रवार का व्रत करने वालों को खट्टी चीज का न तो स्पर्श करना चाहिए और न ही खाना चाहिए। गुड़ और चने का प्रसाद ही ग्रहण करें। प्रयास करें कि परिवार के अन्य सदस्य और प्रसाद ग्रहण करने वाले लोग भी खट्टी चीजों से दूर ही रहे।