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नवरात्रि 2018: छठे दिन करें मां के कात्यायनी स्वरूप की पूजा

नवरात्र में देवी के नौ स्वरूपों की पूजा होती है जिसमें से छठे दिन उनके कात्यायनी रूप का पूजन कैसे करें आैर उसका क्या महत्व है ये जानें पंडित दीपक पांडे से।

By Molly SethEdited By: Published: Sat, 13 Oct 2018 04:44 PM (IST)Updated: Mon, 15 Oct 2018 09:50 AM (IST)
नवरात्रि 2018: छठे दिन करें मां के कात्यायनी स्वरूप की पूजा
नवरात्रि 2018: छठे दिन करें मां के कात्यायनी स्वरूप की पूजा

कौन हैं माता कात्यायनी

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नवरात्रि में छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। पौराणिक कथाआें के अनुसार कात्य गोत्र के महर्षि कात्यायन ने सुयोग्य पुत्री की इच्छा से भगवती पराम्बा की उपासना आैर कठिन तपस्या की। इससे प्रसन्न हो कर भगवती ने उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लिया आैर कात्यायनी कहलाईं। कहते हैं कि मां कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं। भगवान कृष्ण को पति रूप में पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने इन्हीं की पूजा की थी। यह पूजा कालिंदी यमुना के तट पर की गई थी। इसीलिए यह ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में मानी जाती हैं। इनका स्वरूप अत्यंत भव्य और दिव्य है। कात्यायनी स्वर्ण के समान चमकीली और भास्वर हैं। इनकी चार भुजाएं हैं। इनकी दायीं तरफ का ऊपर वाला हाथ अभयमुद्रा में है आैर नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में। इसी प्रकार मां के बांयी तरफ के ऊपर वाले हाथ में तलवार है व नीचे वाले हाथ में वे कमल का फूल धारण करती हैं। इनका वाहन भी सिंह ही है।

कात्यायनी की पूजा 

देवी कात्यायनी को कदम्ब का पुष्प अत्यंत प्रिय हैं इसलिए उनके पूजन में इसे अवश्य अर्पित करें और फल मिष्ठान का भोग लगाएं। कपूर से आरती करें आैर इस मंत्र का जाप करें ‘चंद्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना। कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी॥’ शास्त्रों में बताया गया है कि इनकी उपासना और आराधना से भक्तों को बड़ी आसानी से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है। उसके रोग, शोक, संताप और भय नष्ट हो जाते हैं। सभी जन्मों के समस्त पाप भी नष्ट हो जाते हैं आैर उनकी उपासना करने से परम पद की प्राप्ति होती है। इनका सबसे बड़ा गुण शोधकार्य है। इसीलिए इस वैज्ञानिक युग में कात्यायनी का महत्व बढ़ जाता है। यह वैद्यनाथ नामक स्थान पर प्रकट हुर्इ आैर पूजी गईं।

कात्यायनी की पूजा का महत्व 

इनकी भक्ति से आपके मार्ग में आने वाली कठिनार्इयों से छुटकारा मिलता है आैर कार्यक्षेत्र में सफलता मिलती है। शास्त्रों के अनुसार स्कंदमाता की पूजा से राहु के दोषों से मुक्ति मिलती है। मां स्कंदमाता की साधना करने वालों को विभिन्न रोगों से भी मुक्ति मिलती है जिनमें संक्रमण, मस्तिष्क, अस्थि, त्वचा आैर कैंसर से संबंधित अनेक रोग सम्मिलित हैं। इनकी पूजा से सभी जन्मों के समस्त पाप भी नष्ट हो जाते हैं। 


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