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नवरात्रि 2018: सातवें दिन करें मां के कालरात्रि स्वरूप की पूजा

नवरात्र में देवी के नौ स्वरूपों की पूजा होती है जिसमें से सातवें दिन उनके कालरात्रि रूप का पूजन कैसे करें आैर उसका क्या महत्व है ये जानें पंडित दीपक पांडे से।

By Molly SethEdited By: Published: Mon, 15 Oct 2018 05:35 PM (IST)Updated: Tue, 16 Oct 2018 07:00 AM (IST)
नवरात्रि 2018: सातवें दिन करें मां के कालरात्रि स्वरूप की पूजा
नवरात्रि 2018: सातवें दिन करें मां के कालरात्रि स्वरूप की पूजा

कौन हैं माता कालरात्रि

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नवरात्रि का सातवां दिन कालरात्रि की उपासना का दिन होता है। इन्हें मोक्ष का द्वार खोलने वाली माता कहा जाता है। कहते हैं इस दिन पूजा करने वाले का मन सहस्रार चक्र में स्थित रहता है आैर उसके लिए ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियों का द्वार खुल जाता है। देवी कालारात्रि को काली, महाकाली, भद्रकाली, भैरवी, मृत्यु, रुद्राणि, चामुंडा, चंडी और दुर्गा जैसे कई विनाशकारी रूपों में से एक माना जाता है। रौद्री और धुमोरना देवी कालात्री के अन्य कम प्रसिद्ध नामों में से एक हैं।  इस देवी की चार भुजाएं हैं। ऊपर उठे हुए दाहिने हाथ की वरमुद्रा से वे सभी को वर प्रदान करती हैं आैर इसी आेर नीचे वाला हाथ अभयमुद्रा में है। बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में लोहे का कांटा तथा नीचे वाले हाथ में खड्ग है। इनके शरीर का रंग घने अंधकार की तरह एकदम काला है। सिर के बाल बिखरे हुए हैं। गले में विद्युत की तरह चमकने वाली माला है। इनके तीन नेत्र हैं। ये तीनों नेत्र ब्रह्मांड के सदृश गोल हैं। इनसे विद्युत के समान चमकीली किरणें निकलती रहती हैं। गर्दभ यानि गदहा इनका वाहन है।

कालरात्रि की पूजा 

देवी कालरात्रि को बेला आैर सफेद कमल के पुष्प अत्यंत प्रिय हैं इसलिए उनके पूजन में कमल की माला अवश्य अर्पित करें और फल मिष्ठान का भोग लगाएं। कपूर से आरती करें आैर इस मंत्र का जाप करें ‘एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता। लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।। वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा। वर्धन्मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयन्करि॥’ मां कालरात्रि का स्वरूप भले ही देखने में अत्यंत भयानक है, लेकिन ये सदैव शुभ फल ही देने वाली हैं, इसी कारण शुभंकारी भी कहते हैं। इनकी पूजा-अर्चना करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है व दुश्मनों का नाश होता है, तेज बढ़ता है। मां कालरात्रि के विग्रह को स्थापित करके भक्त जनों को एकनिष्ठ भाव से उपासना करनी चाहिए। साथ ही यम, नियम, संयम का पूर्ण पालन करना चाहिए। मन, वचन, आैर शरीर की पवित्रता रखनी चाहिए। 

कालरात्रि की पूजा का महत्व 

इनकी भक्ति से इनकी कृपा से मनुष्य सर्वथा भय-मुक्त हो जाता है। शास्त्रों के अनुसार कालरात्रि की पूजा से शनि ग्रह के दोष दूर होते हैं। मृत्यु तुल्य अपवादों से मुक्ति मिलती है। मां कालरात्रि की साधना करने वालों को विभिन्न रोगों से भी मुक्ति मिलती है जिनमें अस्थि, वात आैर सांस से संबंधित अनेक रोग सम्मिलित हैं। इनके भयानक रूप से भक्तों को भयभीत या आतंकित होने की आवश्यकता नहीं है। कालरात्रि की पूजा से , भय, चिंता आैर निराशा भी दूर होते हैं। 


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