क्या होती है करवा चौथ की सरगी
शनिवार 27 अक्टूबर 2018 को सुहागिने करवा चौथ का व्रत रखेंगी। इस व्रत को प्रारंभ करने से पूर्व विवाहिता को उसकी सास या अन्य बुजुर्ग सरगी देते हैं। जाने क्या होती है ये सरगी।
ये होती है सरगी
विवाहित महिलाआें के लिए सबसे महत्वपूर्ण माना जाने वाला करवा चौथ का व्रत इस वर्ष शनिवार 27 अक्टूबर 2018 पड़ रहा है। इस दिन अपने सुख सौभाग्य आैर पति की लंबी आयु की कामना से स्त्रियां निराहार आैर निर्जल रह कर व्रत करती हैं। इस दिन व्रत से पूर्व सूर्योदय से पहले सास या परिवार के अन्य बुजुर्ग अपनी बहू को एक खास भेंट देते हैं जिसे सरगी कहते हैं। ये करवा चौथ के दिन दिया जाने वाला मुख्य भोजन आैर भेंट के रूप में दिया जाने वाला आर्शिवाद होता है। सूर्योदय से पहले का मतलब है कि प्रात लगभग 4-5 बजे सास अपनी बहू को सरगी देती हैं। इस सरगी को देने का कारण होता है कि व्रत प्रंभ करने के पहले बहु सेहतमंद खाद्य खा ले ताकि उसे दिन पर ऊर्जा मिले आैर वो व्रत को सही से निभा सके। साथ ही उसे श्रंगार करने का सामान भी उपलब्ध हो सके। सरगी ग्रहण करने के बाद से ही करवा चौथ का व्रत प्रारंभ हो जाता है। इसके बाद पूरे दिन निर्जला रहते हैं और चंद्र उदय के बाद चंद्रमा की पूजा करके ही उसको समाप्त किया जाता है। चंद्रमा की पूजा में पहले चांद को छ्न्नी में से देखा जाता है, फिर उसकी आरती की जाती है और फिर पति को देखकर उनकी आरती की जाती है। इसके बाद पति के हाथों जल पीकर व्रत खोला जाता है।
सरगी थाली में शामिल करें ये सामान
सास द्वारा दी गर्इ सरगी की थाली में पांच से सात प्रकार के व्यंजन, जैसे मिठाई, मठरी, फल, ड्राई फ्रूट्स, सेवईं आदि होते हैं। इसके अतिरिक्त इसमें कपड़े आैर गहने भी रखे जाते हैं। साथ ही थाली में श्रंगार का अन्य सामान जैसे, चूड़ी, बिंदी आैर मेंहदी भी रखे जाते हैं। इन सभी चीजो को थाली में सजा कर सादा सुहागन रहों के आर्शिवद के साथ सासें अपनी बहू को देती हैं। इन सभी को रखने का अपना एक अर्थ आैर महत्व होता है। जैसे खाद्य सामग्री दिन भर व्रत की ऊर्जा बनाये रखने आैर महिला को स्वस्थ रखने के लिए रखी जाती है। जबकि गहने कपड़े बहू को सौभाग्य का अहसास कराने के लिए दिए जाते हैं। श्रंगार की सामग्री जैसे मेंहदी आदि भी उसके सुख सौभाग्य का प्रतीक होते हैं।