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Vishwakarma Puja Vidhi: इस तरह विधिवत करें भगवान विश्वकर्मा की पूजा

Vishwakarma Puja Vidhi भगवान विश्वकर्मा को निर्माण का देवता कहा जाता है। इन्होंने ही देवताओं के महलों भवनों हथियारों आदि का निर्माण किया था।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Wed, 16 Sep 2020 06:30 AM (IST)Updated: Thu, 17 Sep 2020 07:41 AM (IST)
Vishwakarma Puja Vidhi: इस तरह विधिवत करें भगवान विश्वकर्मा की पूजा
Vishwakarma Puja Vidhi: इस तरह विधिवत करें भगवान विश्वकर्मा की पूजा

Vishwakarma Puja Vidhi: भगवान विश्वकर्मा को निर्माण का देवता कहा जाता है। इन्होंने ही देवताओं के महलों, भवनों, हथियारों आदि का निर्माण किया था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार देवगण असुरों से परेशान थे और उन सभी ने भगवान विश्वकर्मा से मदद मांगी तब महर्षि दधीची की हड्डियों से विश्वकर्मा जी ने राजा इंद्र के लिए एक वज्र बनाया। यह अस्त्र इतना शक्तिशाली और प्रभावशाली था कि इससे असुरों का सर्वनाश हो गया। इन्होंने कई संरचनाएं की थी। भगवान विश्वकर्मा ने दानवीर कर्ण के कुंडल और पुष्पक विमान की भी संरचना की थी। माना जाता है कि इन्होंने राम, लक्ष्मण, सीता और अन्य सभी साथियों के लिए अयोध्या वापस लौटने के लिए विमान भी बनाया था।

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इस तरह करें विश्वकर्मा पूजा:

  • इस दिन विश्वकर्मा जी की मूर्ति या प्रतिमा को घर या ऑफिस में स्थापित करते हैं। इस दिन कई लोग अपने कल-पुर्जों को ही भगवान विश्वकर्मा मानकर उनकी पूजा करते हैं।
  • इस दिन कई जगहों पर यज्ञ भी किए जाते हैं।
  • विश्वकर्मा पूजा को फैक्ट्री, वर्कशॉप, ऑफिस या दुकान के मालिक और उनकी पत्नी को करनी चाहिए। पूजा करने से पहले स्नानादि से निवृत हो जाएं।
  • सबसे पहले दोनों को विश्वकर्मा पूजा का संकल्प लेना होगा।
  • फिर एक कलश लें और उसमें पंचपल्लव, सुपारी, दक्षिणा आदि डाल दें और फिर कलश को कपड़ा लपेट दें।
  • एक मिट्टी का पात्र लें और उसमें अक्षत् रख दें। फिर इस पात्र को कलश पर रख दें।
  • फिर चौकी पर विष्णु जी का ध्यान कर भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति या प्रतिमा स्थापित करें।
  • इसके बाद विश्वकर्मा जी को अक्षत्, पुष्प, धूप, दीप, गंध, मिठाई आदि अर्पित करें।
  • फिर दाहिने हाथ में अक्षत लेकर मंत्र (ओम आधार शक्तपे नम:, ओम कूमयि नम:, ओम अनन्तम नम:, पृथिव्यै नम: मंत्र) पढ़ें और चारों ओर छिड़के दें। फिर हाथ में मौजूद फूल को जल में छोड़ दें।
  • इसके बाद अपने हाथ में रक्षासूत्र मौली या कलावा बांध लें। इनका ध्यान करते हुए विधिव‍त पूजा करें।
  • फिर औजारों और यंत्रों आदि को जल, रोली, अक्षत, फूल और मि‍ठाई अर्पित करें और फिर विधिव‍त हवन करें।

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