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Vinayaka Chaturthi 2020: आज है विनायक चतुर्थी, जानें-पूजा का शुभ मुहूर्त एवं व्रत लाभ

Vinayaka chaturthi 2020 इस दिन भगवान श्री गणेश जी की पूजा-उपासना की जाती है। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से व्रती के सभी दुःख दर्द और संकट दूर हो जाते हैं।

By Umanath SinghEdited By: Published: Tue, 26 May 2020 06:00 AM (IST)Updated: Tue, 26 May 2020 01:36 PM (IST)
Vinayaka Chaturthi 2020: आज है विनायक चतुर्थी, जानें-पूजा का शुभ मुहूर्त एवं व्रत लाभ
Vinayaka Chaturthi 2020: आज है विनायक चतुर्थी, जानें-पूजा का शुभ मुहूर्त एवं व्रत लाभ

दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Vinayaka chaturthi 2020: हर महीने की कृष्ण और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी मनाई जाती है। आज विनायक चतुर्थी है। इस दिन भगवान श्री गणेश जी की पूजा-उपासना की जाती है। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से व्रती के सभी दुःख, दर्द और संकट दूर हो जाते हैं। इस व्रत को देशभर में हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है।

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विनायक चतुर्थी का महत्व

धार्मिक ग्रंथों में लिखा है कि भाद्रपद में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को भगवान श्री गणेश जी का जन्म हुआ है। अतः इस दिन गणेश जयंती मनाई जाती है। इसके साथ ही हर महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी मनाने का विधान है। इस दिन व्रती मंदिरों एवं घरों में विघ्नहर्ता श्री गणेश की पूजा-उपासना करते हैं।

विनायक चतुर्थी शुभ मुहूर्त

इस दिन शुभ-मुहूर्त सुबह 10 बजकर 56 मिनट से शुरू होकर दोपहर के 1 बजकर 41 मिनट तक है। इस दौरान गणेश जी की पूजा करनी चाहिए। ऐसे करने से आपकी सभी मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होंगी।

विनायक चतुर्थी पूजा विधि

इस दिन ब्रह्म बेला में उठें और घर की साफ-सफाई करें। इसके बाद गंगाजल युक्त जल से स्नान ध्यान से निवृत होकर सर्वप्रथम व्रत संकल्प लें। इसके लिए जल से आमचन करें। इसके बाद पूजा गृह को गंगा जल से शुद्ध करें और फिर गणेश जी की पूजा फल, फूल, धूप-दीप, कपूर, अक्षत और दूर्वा से करें। पूजा के समय निम्न मंत्र का जाप जरूर करें।

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।

निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

गणेश जी को मोदक अति प्रिय है। अतः पूजा के समय उन्हें मोदक अवश्य भेंट करें। इसके बाद आरती-अर्चना कर घर की सुख, शांति और समृद्धि के लिए प्रार्थना करें। दिन भर उपवास रखें। शाम में आरती अर्चना के बाद फलाहार करें। अगले दिन नित्य दिनों की तरह पूजा पाठ सम्पन्न कर व्रत खोलें।


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