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Vinayak Chaturthi 2022: विनायक चतुर्थी व्रत पर बन रहा खास योग, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और भोग

Vinayak Chaturthi 2022 आषाढ़ विनायक चतुर्थी व्रत में गणेश जी की पूजा अर्चना की जाती है। इस दिन गणपति जी की पूजा करने से सभी कामों में सफलता मिलने के साथ सुख एवं सौभाग्य की प्राप्ति होती है। जानिए विनायक चतुर्थी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

By Shivani SinghEdited By: Published: Sat, 02 Jul 2022 09:00 AM (IST)Updated: Sun, 03 Jul 2022 07:55 AM (IST)
Vinayak Chaturthi 2022: विनायक चतुर्थी व्रत पर बन रहा खास योग, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और भोग
Vinayak Chaturthi 2022: विनायक चतुर्थी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और भोग

 नई दिल्ली, Vinayak Chaturthi 2022: विनायक चतुर्थी व्रत आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। ज्येष्ठ विनायक चतुर्थी व्रत 03 जुलाई दिन रविवार को है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर मास के दोनों पक्ष यानी कृष्ण और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश जी को समर्पित है। इसी कारण इस दिन को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली गणेश चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा इसे वरद चतुर्थी भी कहा जाता है। इस बार विनायक चतुर्थी पर काफी शुभ योग बन रहा है। जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व।

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विनायक चतुर्थी शुभ मुहूर्त

आषाढ़ शुक्ल चतुर्थी तिथि का प्रारंभ- 02 जुलाई शनिवार दोपहर 3 बजकर 16 मिनट से

आषाढ़ शुक्ल चतुर्थी तिथि का समापन- 03 जुलाई, रविवार को शाम 05 बजकर 06 मिनट तक

गणेश पूजा का शुभ मुहूर्त- 3 जुलाई को सुबह 11 बजकर 02 मिनट से दोपहर 01 बजकर 49 मिनट तक

चंद्रोदय का समय- सुबह 09 बजकर 9 मिनट पर पर

चंद्रास्त- 3 जुलाई को रात 10 बजकर 33 मिनट पर

विनायक चतुर्थी पर बन रहा खास योग

रवि योग- 3 जुलाई सुबह 05 बजकर 28 मिनट से 4 जुलाई सुबह 06 बजकर 30 मिनट तक

सिद्धि योग- 3 जुलाई को दोपहर 12 बजकर 07 4 जुलाई रात 12 बजकर 21 मिनट तक

विनायक चतुर्थी पर ऐसे करें गणेश जी की पूजा

  • इस दिन ब्रह्न मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान आदि कर लें।
  • इसके बाद साफ सूथरे लाल या पीले रंग के वस्त्र धारण कर लें।
  • अब पूजा स्थल पर जाकर चौकी, पाटा या फिर पूजा घर में ही एक पीला या लाल कपड़ा रंग का साफ वस्त्र बिछाकर भगवान गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित कर दें।
  • गणेश जी का जलाभिषेक करें।
  • अब भगवान को फूल, माला, 11 या 21 गांठ दूर्वा चढ़ा दें।
  • भगवान गणेश जी को सिंदूर का तिलक लगाएं।
  • अब भगवान को मोदक या फिर बूंदी के लड्डू चढ़ा दें।
  • अंत में आरती आदि करने करने के बाद प्रसाद आदि बांट दें।
  • पूरे दिन फलाहारी व्रत रखने के बाद पंचमी तिथि के दिन व्रत का पारण कर दें।

Pic Credit- instagram/shree_ganeshji

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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