Sawan Somvar Vrat 2020: आज है सावन का तीसरा सोमवार व्रत, जानें मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र एवं महत्व
Sawan Somvar Vrat 2020 आज सावन का तीसरा सोमवार है। सावन सोमवार का व्रत रखने वालों के लिए यह विशेष दिन है क्योंकि आज का सोमवार सर्वार्थ सिद्धि योग में पड़ा है।
Sawan Somvar Vrat 2020: हिन्दी पंचांग के अनुसार, आज सावन माह की अमावस्या तिथि और सोमवार दिन है। आज सावन का तीसरा सोमवार है। सावन सोमवार का व्रत रखने वालों के लिए यह विशेष दिन है क्योंकि आज का सोमवार सर्वार्थ सिद्धि योग में पड़ा है। आज के दिन सावन सोमवार का व्रत रखते हुए देवों के देव महादेव और माता पार्वती की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। सावन सोमवार का व्रत रखने की वजह है विवाह में होने वाले विलंब को दूर करना, परिवार एवं संतान का कल्याण। आइए जानते हैं कि सावन के तीसरे सोमवार व्रत के लिए मुहूर्त, पूजा विधि आदि क्या है।
सावन सोमवार का विशेष समय
दिन: सोमवार, श्रावण मास, कृष्ण पक्ष, अमावस्या।
सर्वार्थ सिद्धि योग: आज रात 09 बजकर 21 मिनट से अगले दिन 21 जुलाई को सुबह 05 बजकर 36 मिनट तक।
अमृत काल: शाम को 06 बजकर 59 मिनट से रात को 08 बजकर 34 मिनट तक।
अभिजित मुहूर्त: दोपहर 12:00 बजे से 12 बजकर 55 मिनट तक।
विजय मुहूर्त: दोपहर 02 बजकर 44 मिनट से दोपहर 03 बजकर 39 मिनट तक।
आज का दिशाशूल: पूर्व।
आज का राहुकाल: प्रात: 07:30 बजे से 09:00 बजे तक।
शिव पंचाक्षर मंत्र
पूजा के समय भगवान शिव के पंचाक्षर मंत्र ओम नम: शिवाय का जाप आपके लिए कल्याणकारी है।
सावन सोमवार व्रत एवं पूजा विधि
आज सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ कपड़े पहन लें। अब हाथ में जल लेकर सावन के तीसरे सोमवार व्रत एवं पूजा का संकल्प लें। इसके बाद जल में गंगाजल मिलाकर भगवान शिव शंकर का जलाभिषेक करें। अब उनको गाय का दूध, सफेद फूल, अक्षत्, पंचामृत, सुपारी भांग, धतूरा, बेल पत्र, सफेद चंदन आदि सादर पूवर्क चढ़ाएं। राम नाम लिखे 12 बेल पत्र भोलेनाथ को चढ़ाना कल्याणकारी माना जाता है।
पंचाक्षर मंत्र का जाप करते हुए भगवान शिव को बेल पत्र अर्पित कर दें। इसके पश्चात माता पार्वती को फल, फूल, सिंदूर, अक्षत् एवं सुहाग की सामग्री अर्पित करें। दोनों की पूजा के बाद भगवान कार्तिकेय और गणेश जी की पूजा करें। इसके बाद शिव परिवार को दीपक अर्पित करें। शिव चालीसा का पाठ करने के बाद शिव जी की आरती करें।
दिनभर व्रत नियमों का पालन करें। शाम को भगवान शिव की आरती करें। फिर पारण करके व्रत पूर्ण करें। शिव परिवार को चढ़ाई गई सामग्री ब्राह्मण को दान कर दें।