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Suryashtakam: हर रविवार सूर्याष्टक का करें पाठ, करियर की रुकावटें हो जाती हैं दूर

Suryashtakam पौष का महीना चल रहा है। पौष के इस महीने में सूर्यदेव की अराधना की जाती है। मान्यता है कि अगर पौष माह में सूर्यदेव की अराधना की जाए तो व्यक्ति के करियर की रुकावटें दूर हो जाती हैं।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Sun, 03 Jan 2021 07:00 AM (IST)Updated: Sun, 03 Jan 2021 01:40 PM (IST)
Suryashtakam: हर रविवार सूर्याष्टक का करें पाठ, करियर की रुकावटें हो जाती हैं दूर
Suryashtakam: हर रविवार सूर्याष्टक का करें पाठ, करियर की रुकावटें हो जाती हैं दूर

Suryashtakam: पौष का महीना चल रहा है। इस महीने में सूर्यदेव की अराधना की जाती है। मान्यता है कि अगर पौष माह में सूर्यदेव की अराधना की जाए तो व्यक्ति के करियर की रुकावटें दूर हो जाती हैं। जो व्यक्ति रोजगार की चाह रखता हो वो अगर हर रविवार सूर्यदेव को दूध-भात-मिश्री का भोग लगाए तो 7 रविवार के बीच में ही व्यक्ति की नौकरी की संभावना बन जाती हैं। लेकिन इसके लिए पूरे मन और श्रद्धा के साथ पूजा-अर्चना की जानी भी जरूरी है। सूर्यदेव की पूजा के दौरान पवित्र सूर्याष्टक का पाठ किया जाना बेहद आवश्यक है। कहा जाता है कि अगर हर रविवार के दिन इस पाठ का वाचन किया जाए तो फल मिलने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है। आइए पढ़ते हैं श्री सूर्याष्टकम्।

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'अथ श्री सूर्याष्टकम्'

श्री साम्ब उवाच:-

आदि देव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर:।

दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तुते ।1।

सप्ताश्वरथ मारुढ़ं प्रचण्डं कश्यपात्पजम्।

श्वेत पद्मधरं तं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ।2।

लोहितं रथमारुढं सर्वलोक पितामहम्।

महापाप हरं देवं तं सूर्य प्रणमाम्यहम् ।3।

त्रैगुण्यं च महाशूरं ब्रह्मा विष्णु महेश्वरं।

महापापं हरं देवं तं सूर्य प्रणमाम्यहम् ।4।

वृहितं तेज: पुञ्जच वायुराकाश मेव च।

प्रभुसर्वलोकानां तं सूर्य प्रणमाम्यहम् ।5।

बन्धूक पुष्प संकाशं हार कुंडल भूषितम्।

एक चक्र धरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ।6।

तं सूर्य जगत् कर्तारं महातेज: प्रदीपनम्।

महापाप हरं देवं तं सूर्य प्रणमाम्यहम् ।7।

तं सूर्य जगतां नाथं ज्ञान विज्ञान मोक्षदम्।

महापापं हरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ।8।

सूर्याष्टकं पठेन्नित्यं गृहपीड़ा प्रणाशनम।

अपुत्रो लभते पुत्रं दरिद्रो धनवान भवेत ।9।

अभिषं मधु पानं च य: करोत्तिवे‍दिने।

सप्तजन्म भवेद्रोगी जन्म-जन्म दरिद्रता ।10।

स्त्री तेल मधुमां-सा नित्य स्त्यजेन्तु रवेद्रिने।

न व्या‍धि: शोक दारिद्रयं सूर्यलोकं सगच्छति ।11।

'इति श्री शिव प्रोक्तं सूर्याष्टकं'

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। '  


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