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Som Pradosh Vrat 2020: आज है सोम प्रदोष व्रत, जानें भगवान शिव की पूजा का मुहूर्त, विधि, मंत्र एवं महत्व

Som Pradosh Vrat 2020 चैत्र मास में सोम प्रदोष व्रत आज है। प्रदोष व्रत हर मास में दो बार आता है।

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Sat, 04 Apr 2020 06:00 AM (IST)Updated: Sun, 05 Apr 2020 06:43 AM (IST)
Som Pradosh Vrat 2020: आज है सोम प्रदोष व्रत, जानें भगवान शिव की पूजा का मुहूर्त, विधि, मंत्र एवं महत्व
Som Pradosh Vrat 2020: आज है सोम प्रदोष व्रत, जानें भगवान शिव की पूजा का मुहूर्त, विधि, मंत्र एवं महत्व

Som Pradosh Vrat 2020: चैत्र मास में सोम प्रदोष व्रत 05 अप्रैल 2020 दिन रविवार को है। प्रदोष व्रत हर मास में दो बार आता है। एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में। यह हर मास के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को होता है। इस बार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 05 अप्रैल 2020 दिन रविवार को प्रारंभ हो रही है, ऐसे में प्रदोष व्रत रविवार शाम को ही करना होगा। उस दिन सोम प्रदोष व्रत मनाया जाएगा। सोम प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की विधि विधान से पूजा-अर्चना की जाएगी।

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सोम प्रदोष व्रत का मुहूर्त

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 05 अप्रैल दिन रविवार को शाम 07 बजकर 24 मिनट से प्रारंभ हो रही है। त्रयोदशी तिथि का समापन 06 अप्रैल 2020 दिन सोमवार को शाम 03 बजकर 51 मिनट पर हो रहा है। सोमवार के दिन प्रदोष काल नहीं मिल रहा है, ऐसे में रविवार को ही सोम प्रदोष व्रत की पूजा की जाएगी। प्रदोष व्रत की पूजा हमेशा प्रदोष काल यानी सूर्यास्त के बाद और रात्रि से पहले के समय में होती है।

इस बार सोम प्रदोष व्रत की पूजा के लिए रविवार को 01 घंटा 34 मिनट का समय मिल रहा है। जो भी व्यक्ति व्रत करना चाहता है उसे रविवार की सुबह से व्रत का संकल्प लेना होगा और शाम को 07 बजकर 24 मिनट से 08 बजकर 58 मिनट के मध्य तक पूजा सम्पन्न कर लेनी होगी।

सोम प्रदोष व्रत का महत्व

सोम प्रदोष का व्रत करने और भगवान शिव की प्रदोष काल में श्रद्धापूर्वक पूजा करने से व्यक्ति को आरोग्य का अशीर्वाद प्राप्त होता है। उसे निरोगी काया प्राप्त होती है। इतना ही नहीं, भगवान शिव अपने भक्तों की सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करते हैं।

सोम प्रदोष व्रत एवं पूजा विधि

इस बार रविवार के दिन प्रात:काल में स्नान आदि कर लें और स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद हाथ में जल लेकर प्रदोष व्रत का संकल्प करें। अब भगवान शिव की आराधना करें और दिन भर फलाहार पर रहें। शाम को प्रदोष काल में मुहूर्त के समय भगवान शिव की पूजा करें। भगवान शिव को गंगा जल, अक्षत्, पुष्प, धतूरा, धूप, फल, चंदन, गाय का दूध, भांग आदि अर्पित करें।

इसके पश्चात ओम नम: शिवाय: मंत्र का जाप करें तथा शिव चालीसा का पाठ करें। अंत में भगवान शिव की आरती करें। फिर प्रसाद लोगों में बांट दें। रात में रात्रि जागरण करें तथा अगले दिन सोमवार को स्नान कर महादेव का पूजन करें। ब्राह्मण को दान-दक्षिणा दें और पारण कर व्रत को पूर्ण करें।


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