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Skanda Sashti Vrat 2020: आज है स्कन्द षष्ठी, जानें-भगवान कार्तिकेय की पूजा विधि एवं व्रत लाभ

Skanda Sashti Vrat 2020नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है जो देवों के सेनापति कार्तिकेय की माता हैं। अतः स्कन्द देव की पूजा करने से स्कंदमाता प्रसन्न होती हैं।

By Umanath SinghEdited By: Published: Mon, 25 May 2020 04:26 PM (IST)Updated: Thu, 28 May 2020 09:01 AM (IST)
Skanda Sashti Vrat 2020: आज है स्कन्द षष्ठी, जानें-भगवान कार्तिकेय की पूजा विधि एवं व्रत लाभ
Skanda Sashti Vrat 2020: आज है स्कन्द षष्ठी, जानें-भगवान कार्तिकेय की पूजा विधि एवं व्रत लाभ

दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Skanda Sashti Vrat 2020: आज स्कन्द षष्ठी है। यह पर्व हर महीने शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है। इस दिन देवों के सेनापति और भगवान शिव जी एवं माता पार्वती के अग्रज पुत्र कार्तिकेय की पूजा-उपासना की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को करने से दीर्घायु और प्रतापी संतान की प्राप्ति होती है। साथ ही व्रती के जीवन से दुःख-दरिद्रता दूर हो जाता है। इन्हें स्कंद देव,  महासेन, पार्वतीनन्दन, षडानन, मुरुगन, सुब्रह्मन्य आदि नामों से जाना जाता है। 

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स्कन्द षष्ठी का महत्व

नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है, जो देवों के सेनापति कार्तिकेय की माता हैं। अतः स्कन्द देव की पूजा करने से स्कंदमाता भी प्रसन्न होती है और व्रती के सभी मनोरथ सिद्ध करती हैं। इस दिन दक्षिण भारत में विशेष पूजा-उपासना की जाती है, जिसमें भगवान कार्तिकेय का आह्वान किया जाता है। स्कन्द षष्ठी कार्तिक महीने की षष्ठी को विशेष रूप से मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन कार्तिकेय का जन्म हुआ है।

स्कन्द षष्ठी शुभ मुहूर्त

इस दिन शुभ मुहूर्त मध्य रात्रि 12 बजकर 32 मिनट से शुरू होकर दिन के 11 बजकर 27 मिनट तक है। इस दौरान व्रती कार्तिकेय देव की पूजा उपासना कर सकते हैं।

स्कन्द षष्ठी पूजा विधि

इस दिन ब्रह्म बेला में उठकर घर की साफ-सफाई करें। इसके बाद स्नान-ध्यान कर सर्वप्रथम व्रत संकल्प लें। अब पूजा गृह में मां गौरी और शिव जी के साथ भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा पूजा चौकी पर स्थापित करें। इसके बाद  देवों के देव महादेव, माता पार्वती और कार्तिकेय की पूजा जल, मौसमी फल, फूल, मेवा, कलावा, दीपक, अक्षत, हल्दी, चंदन, दूध,  गाय का घी, इत्र आदि से करें। अंत में आरती आराधना करें। आप चाहे तो इस दिन उपासना भी कर सकते हैं। शाम में कीर्तन-भजन और आरती करें। इसके पश्चात फलाहार करें।


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