Shukra Pradosh Vrat 2019: शुक्र प्रदोष को भगवान शिव की आराधना से मिलेगा सौभाग्य, जानें तिथि, मुहूर्त और पूजा विधि
Shukra Pradosh Vrat 2019 हिन्दू कैलेंडर के अनुसार प्रदोष व्रत हर मास के त्रयोदशी तिथि को होता है। जो प्रदोष व्रत शुक्रवार के दिन होता है उसे शुक्र प्रदोष कहते हैं।
Shukra Pradosh Vrat 2019: हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, प्रदोष व्रत हर मास के त्रयोदशी तिथि को होता है। यह प्रत्येक मास में दो बार आता है, एक कृष्ण पक्ष और दूसरा शुक्ल पक्ष में। जो प्रदोष व्रत शुक्रवार के दिन होता है, उसे शुक्र प्रदोष कहते हैं। इस बार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि शुक्रवार 11 अक्टूबर को है। ऐसे में शुक्र प्रदोष व्रत 11 अक्टूबर को पड़ रहा है। प्रदोष व्रत में देवों के देव महादेव भगवान शिव की पूजा अर्चना की जाती है। यह भगवान शिव को समर्पित होता है।
शुक्र प्रदोष व्रत का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव प्रदोष काल में कैलाश पर नृत्य करते हैं। ऐसे में व्रत रखने से भक्तों की मनोवाछित इच्छाओं की पूर्ति होती है। वहीं, शुक्र प्रदोष व्रत में भगवान शिव की विधि विधान से आराधना करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। वैवाहिक लोगों के जीवन में सुख-शान्ति रहती है।
पूजा मुहूर्त
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 10 अक्टूबर को शाम 7 बजकर 52 मिनट से हो रहा है, जो 11 अक्टूबर को रात 10 बजकर 20 मिनट तक रहेगी। शुक्र प्रदोष व्रत में पूजा का मुहूर्त 11 अक्टूबर को शाम 05 बजकर 56 मिनट से रात 08 बजकर 25 मिनट तक है। इस मुहूर्त में ही भगवान शिव की आराधना करना उत्तम होगा।
पूजा विधि
त्रयोदशी के दिन सुबह में स्नानादि से निवृत होने के बाद शुक्र प्रदोष व्रत का संकल्प लें। सुबह में भगवान शिव की आराधना करें। दिनभर व्रत के नियमों का पालन करें। फिर शाम के समय पूजा मुहूर्त में भगवान शिव की विधि विधान से पूजा करें।
पूजा स्थान पर उत्तर-पूर्व की दिशा में बैठें। फिर भगवान शिव की मूर्ति, तस्वीर या शिवलिंग की स्थापना करें। इसके पश्चात भगवान शिव को गंगा जल, अक्षत्, पुष्प, चंदन, गाय का दूध, भांग, धतूरा, धूप, फल आदि चढ़ाएं।
इसके बाद ऊं नम: शिवाय: मंत्र का जाप करें। शिव चालीसा का पाठ करें। फिर घी का दीपक या कपूर जलाकर भगवान शिव की आरती करें। इसके पश्चात प्रसाद परिजनों में वितरित कर दें। आप अलगे दिन सुबह स्नानादि के बाद पारण करें।