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Shri Raviwaar Aarti: रविवार के दिन जरूर पढ़ें यह आरती, समस्त पापों का होता है नाश

Shri Raviwaar Aarti हिंदू धर्म में रविवार का दिन पूरे सप्ताह का सबसे खास दिन माना जाता है। सूर्य देवता पूरे संसार के एकमात्र साक्षात देव हैं। ये जीवन में ऊर्जा का संचार करते हैं। सूर्यदेव का एक नाम रवि है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Sun, 06 Dec 2020 11:49 AM (IST)Updated: Sun, 06 Dec 2020 11:49 AM (IST)
Shri Raviwaar Aarti: रविवार के दिन जरूर पढ़ें यह आरती, समस्त पापों का होता है नाश
Shri Raviwaar Aarti: रविवार के दिन जरूर पढ़ें यह आरती, समस्त पापों का होता है नाश

Shri Raviwaar Aarti: हिंदू धर्म में रविवार का दिन पूरे सप्ताह का सबसे खास दिन माना जाता है। सूर्य देवता पूरे संसार के एकमात्र साक्षात देव हैं। ये जीवन में ऊर्जा का संचार करते हैं। मान्यता है कि सूर्य की पहली किरण को उम्मीद की नई किरण के रूप में देखा जाता है। सूर्यदेव का एक नाम रवि है। मान्यता है कि रविवार के दिन अगर नियमित रूप से सूर्यदेव की उपासना की जाए तो व्यक्ति के जीवन से द्ररिद्रता दूर हो जाती है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, रविवार के व्रत को समस्त पापों का नाश करने वाला माना गया है। साथ ही अच्छे स्वास्थ्य व घर में समृद्धि की कामना के लिए भी यह व्रत किया जाता है।

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रविवार के दिन व्रत करने के लिए कुछ बातों का ख्याल रखना होता है। इस दिन व्रत करने के बाद भगवान सूर्यदेव को याद करते हुए तेल रहित भोजन ग्रहण करें। मान्यता है कि अगर एक वर्ष तक सूर्यदेव का लगातार उपवास रखा जाए और उसके बाद उद्यापन किया जाए तो भगवान की कृपा भक्त पर बनी रहती है। इस दिन व्रत करने वाला व्यक्ति पूरा जीवन सुख भोगता है और मृत्यु के बाद सूर्यलोक में गमन कर मोक्ष को पाता है। इस दिन सूर्यदेव की आरती तो की ही जाती है। साथ के साथ रविवार की आरती भी करनी चाहिए।

श्री रविवार की आरती:

कहुं लगि आरती दास करेंगे,

सकल जगत जाकि जोति विराजे।

सात समुद्र जाके चरण बसे,

काह भयो जल कुंभ भरे हो राम।

कोटि भानु जाके नख की शोभा,

कहा भयो मंदिर दीप धरे हो राम।

भार अठारह रामा बलि जाके,

कहा भयो शिर पुष्प धरे हो राम।

छप्पन भोग जाके प्रतिदिन लागे,

कहा भयो नैवेद्य धरे हो राम।

अमित कोटि जाके बाजा बाजें,

कहा भयो झनकारा करे हो राम।

चार वेद जाके मुख की शोभा,

कहा भयो ब्रह्मावेद पढ़े हो राम।

शिव सनकादिक आदि ब्रह्मादिक,

नारद मुनि जाको ध्यान धरे हो राम।

हिम मंदार जाके पवन झकोरें,

कहा भयो शिव चंवर ढुरे हो राम।

लख चौरासी बंध छुड़ाए,

केवल हरियश नामदेव गाए हो राम। 


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