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Shiv Ji Aarti And Mantra: प्रदोष व्रत की पूजा के दौरान करें इन मंत्रों का जाप और करें आरती

Shiv Ji Aarti And Mantra आज शनि प्रदोष व्रत है। आज के दिन शिवजी की पूजा की जाती है। हिंदू पंचांग के मुताबिक हर महीने कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है। । के दिन प्रदोष व्रत किया जाता है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Sat, 12 Dec 2020 07:00 AM (IST)Updated: Sat, 12 Dec 2020 08:27 AM (IST)
Shiv Ji Aarti And Mantra: प्रदोष व्रत की पूजा के दौरान करें इन मंत्रों का जाप और करें आरती
Shiv Ji Aarti And Mantra: प्रदोष व्रत की पूजा के दौरान करें इन मंत्रों का जाप और करें आरती

Shiv Ji Aarti And Mantra: आज शनि प्रदोष व्रत है। आज के दिन शिवजी की पूजा की जाती है। हिंदू पंचांग के मुताबिक, हर महीने कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है। । के दिन प्रदोष व्रत किया जाता है। मान्यता है कि जो व्यक्ति प्रदोष व्रत करता है उस पर शिवजी की कृपा बनी रहती है। शिवजी की कृपा पाने के लिए उनके भक्त प्रदोष व्रत जरूर रखतेना चाहि हैं। सच्चे मनसे अगर यह व्रत किया जाए तो व्यक्ति की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण होती हैं। ज्योतिषों के मुताबिक, जो लोग प्रदोष व्रत करते हैं उन्हें कोई कष्ट या रोग नहीं होता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, शनिवार के प्रदोष व्रत की महिमा अपंरपार है। प्रदोष व्रत की पूजा करते समय व्यक्ति को शिवजी के मंत्रों का जाप और उनकी आरती जरूर करनी चाहिए। इससे शिवजी प्रसन्न हो जाते हैं। आइए पढ़ते हैं शिवजी के मंत्र और उनकी आरती।

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शिवजी के मंत्र:

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥

ॐ नमः शिवाय।

ॐ आशुतोषाय नमः।

शिवजी की आरती:

जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।

ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव...॥

एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।

हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव...॥

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।

त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव...॥

अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।

चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव...॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।

सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव...॥

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।

जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव...॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।

प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव...॥

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।

नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव...॥

त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।

कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव...॥

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'  


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