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Shani Pradosh Vrat: ऐसे करें शनि प्रदोष की पूजा, पढ़ें क्या है महत्व

Shani Pradosh Vrat आज शनि प्रदोष व्रत है। यह व्रत बेहद पुण्यकारी होता है। सावन के महीने में आने के कारण इसका महत्व दोगुना हो जाता है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Sat, 01 Aug 2020 06:45 AM (IST)Updated: Sat, 01 Aug 2020 07:16 AM (IST)
Shani Pradosh Vrat: ऐसे करें शनि प्रदोष की पूजा, पढ़ें क्या है महत्व
Shani Pradosh Vrat: ऐसे करें शनि प्रदोष की पूजा, पढ़ें क्या है महत्व

Shani Pradosh Vrat: आज शनि प्रदोष व्रत है। यह व्रत बेहद पुण्यकारी होता है। सावन के महीने में आने के कारण इसका महत्व दोगुना हो जाता है। इस दिन विधि पूर्वक पूजा करने से शनिदेव और शिवजी दोनों ही प्रसन्न हो जाते हैं। बता दें कि जो त्रयोदशी व्रत शनिवार के दिन आता है उसे ही शनि प्रदोष व्रत कहते हैं। अगर कोई व्यक्ति पूरी श्रद्धा से यह व्रत करता है तो उसके शनि से संबंधित सभी दोष खत्म हो जाता है। अगर आप आज यह व्रत कर रहे हैं तो यहां पढ़ें पूजा विधि और व्रत का महत्व।

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ऐसे करें शनि प्रदोष की पूजा:

इस दिन शनिदेव के साथ-साथ भगवान शिव की पूजा भी की जाती है। व्रत के दौरान शनिदेव को ऐसे चीजें अर्पित करें जो उन्हें पसंद हैं जैसे काला तिल, काला वस्त्र, तिल का तेल और उड़द की दाल आदि। सुबह उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं। इसके बाद पूजा का संकल्प लें। ध्यान रहे कि शनिदेव की पूजा शाम के समय ही की जाती है। लेकिन शिवजी की पूजा सुबह ही की जाती है। शनि प्रदोष का व्रत करते समय शनि चालीसा का पाठ करना बेहद जरूरी है। शनिदेव की पूजा इस दिन विधिपूर्वक करने से दुर्भाग्य से भी मुक्ति मिल जाती है। वहीं, शाम को शनि मंदिर जाएं और तिल के तेल का दिया जलाएं। वहां बैठकर पाठ भी करें। फिर पीपल के पेड़ के नीचे भी दीप दान करें।

शनि प्रदोष व्रत का महत्व:

जो व्यक्ति शनि प्रदोष व्रत विधिपूर्वक संपन्न करता है उसके शनि के बुरे प्रभाव से मुक्ति प्राप्त होती है। शनि की ढैय्या, शनि की साढ़ेसाती और शनि की महादशा से जो लोग परेशान हैं उन्हें यह व्रत जरूर करना चाहिए। इससे कार्यक्षेत्र में आने वाली सभी समस्याओं का संकट दूर होता है। साथ ही रोग या अल्पायु की परेशानी भी दूर हो जाती है। शनि प्रदोष व्रत करने से पितृों आशीर्वाद का भी प्राप्त होता है। वहीं, इस व्रत को अगर कोई व्यक्ति करता है तो उसे गोदान का पुण्य प्राप्त होता है। इसके अलावा संतान सुख की प्राप्ति भी होती है।


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