Shani Pradosh Vrat Katha:आज प्रदोष व्रत की पूजा में जरूर पढ़ें यह कथा, आपकी मनोकामना पूर्ति से है संबंधित
Shani Pradosh Vrat Katha इस कथा में शनि प्रदोष व्रत से जुड़ी मनोकामना पूर्ति की घटना के बारे में बताया गया है। आइए जानते हैं उस कथा के बारे में —
Shani Pradosh Vrat Katha: हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, जिस मास के कृष्ण पक्ष या शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को शनिवार का दिन पड़ता है, उस दिन शनि प्रदोष व्रत होता है। इस बार शनि प्रदोष व्रत कल यानी 21 मार्च 2020 को है। इस दिन देवों के देव महादेव की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। शनिवार के दिन प्रदोष काल के समय विधि विधान से पूजा करने के समय प्रदोष व्रत की कथा का भी पाठ करना अनिवार्य माना गया है। इस कथा में शनि प्रदोष व्रत से जुड़ी मनोकामना पूर्ति की घटना के बारे में बताया गया है। आइए जानते हैं उस कथा के बारे में —
शनि प्रदोष व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय प्राचीन काल में एक नगर में एक सेठ थे। वह काफी धनवान थे, लेकिन उनकी कोई संतान नहीं थी। इस वजह से वे और उनकी पत्नी काफी दखी थे। संतान की कामना से उन्होंने पत्नी के साथ तीर्थयात्रा पर जाने का निर्णय लिया। एक दिन उन्होंने अपना सारा कामकाज अपने नौकरों को सौंप दिया और पत्नी के साथ तीर्थ यात्रा पर निकल गए।
थोड़े समय तक यात्रा करने के बाद ने अपने नगर के दूसरे छोर पर पहुंच गए। उन्होंने वहां पर एक साधु को ध्यानमग्न होकर बैठे देखा। तब उन्होंने सोचा कि आगे बढ़ने से पहले एक बार साधू से मिल लें और उनका आशीर्वाद ले लें। वे अपनी पत्नी के साथ साधु के समक्ष बैठ गए। कुछ समय बाद साधू का ध्यान टूटा तो उनके सामने सेठ और सेठानी बैठे थे।
साधु ने उन दोनों को देखकर मुस्कुराया। उन्होंने उन दोनों से कहा कि वे उनका दुख जानते हैं। साधु ने कहा कि तुम दोनों जिस संतान की कामना कर रहे हो, उसकी प्राप्ति के लिए तुमको शनि प्रदोष का व्रत करना चाहिए। निश्चित ही तुम्हारी मनोकामना पूर्ण होगी। सेठ अपनी पत्नी के साथ उस साधु का आशीर्वाद लेकर तीर्थ यात्रा पर निकल गए।
तीर्थयात्रा से लौटने के बाद सेठ और सेठानी ने साधु के बताए अनुसार शनि प्रदोष व्रत किया और विधि विधान से भगवान शिव की आराधना की, जिससे उनकी मनोकामना पूर्ण हुई। कुछ समय बाद उनके घर एक बालक का जन्म हुआ।
शनि प्रदोष व्रत का महत्व
संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले लोग शनि प्रदोष व्रत रखते हैं। हालांकि इसके अतिरिक्त भी लोग शनि प्रदोष का व्रत रखते हैं और व्रत कथा का पाठ करते हैं।