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Sankashti Chaturthi 2020 Vrat Katha: संकष्टी चतुर्थी का कर रहे हैं व्रत तो पढ़ें माता पार्वती के क्रोध की यह कथा

Sankashti Chaturthi 2020 Vrat Katha आज संकष्टी चतुर्थी का व्रत अगर आप कर रहे हैं तो यह व्रत कथा जरूर पढ़ें।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Fri, 07 Aug 2020 07:00 AM (IST)Updated: Fri, 07 Aug 2020 07:08 AM (IST)
Sankashti Chaturthi 2020 Vrat Katha: संकष्टी चतुर्थी का कर रहे हैं व्रत तो पढ़ें माता पार्वती के क्रोध की यह कथा
Sankashti Chaturthi 2020 Vrat Katha: संकष्टी चतुर्थी का कर रहे हैं व्रत तो पढ़ें माता पार्वती के क्रोध की यह कथा

Sankashti Chaturthi 2020 Vrat Katha: एक बार भगवान शिव और देवी पार्वती नदी के पास बैठे हुए थे। इसी समय पार्वती जी का चौपड़ खेलने का मन हुआ। लेकिन उनके साथ कोई तीसरा व्यक्ति नहीं था जो खेल में निर्णायक की भूमिका निभा पाए। ऐसे में शिवजी और पार्वती जी बेहद असमंजस में पड़ गए। इस समस्या का सुलझाने के लिए भगवान शिव और माता पार्वती ने एक मिट्टी की मूर्ति बनाई। फिर इस मूर्ति में जान डाल दी। शिवजी और पार्वती जी ने मिट्टी से बने बालक यानी मूर्ति को निर्देश दिया कि वो चौपड़ खेल रहे हैं। वो इस खेल को अच्छे से देखे और आखिरी में बताए कि कौन जीता है।

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चौपड़ खेलने के दौरान पार्वती जी, भोलेनाथ को मात देती दिखाई दे रही थीं। लेकिन मिट्टी से बने उस बालक को गलतफहमी हो गई कि महादेव जीत रहे हैं। ऐसे में उसने महादेव को विजेता घोषित कर दिया। यह देख माता पार्वती बेहद क्रोधित हो गईं। गुस्से में आकर पार्वती जी ने उस बालक को लंगड़ा होने का श्राप दिया। बच्चे ने देवी से अपनी गलती की माफी मांगी। वो बालक बार-बार माफी मांग रहा था। यह देख पार्वती जी का दिल पसीज गया। उन्होंने कहा कि वो श्राप तो वापस नहीं ले सकती हैं। लेकिन इस श्राप से मुक्ति पाने के लिए बालक को संकष्टी की पूजा करनी होगी।

फिर बालक ने पूरे विधि-विधान से संकष्टी की पूजा की जो भगवान गणेश को समर्पित है। गणेश जी उसकी पूजा से प्रसन्न हो गए और उसे शिवलोक जाने की अनुमति दे दी। लेकिन वह बच्चा जब वहां गया तो उसे वहां शिवजी के दर्शन ही प्राप्त हुए। क्योंकि माता पार्वती, शिवजी से गुस्सा होकर कैलाश छोड़ गई थीं। माता पार्वती को वापस लाने के लिए भगवान शिव ने भी संकष्टी का व्रत किया। इससे माता पार्वती बेहद प्रसन्न हुईं और कैलाश वापस आ गईं।  


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