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Sankashti Chaturthi 2020: आज संकष्टी चतुर्थी पर इस तरह करें गणेश जी की पूजा, पढ़ें पूरी विधि

Sankashti Chaturthi 2020 हिंदू धर्म का एक प्रमुख दिन संकष्टी चतुर्थी है। यह दिन गणेश जी को समर्पित है। गणपति बप्पा को बुद्धि बल और विवेक का देवता कहा गया है। मान्यता है कि गणेश जी अपने भक्तों की सभी परेशानियों और विघ्नों को हर लेते हैं।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Thu, 03 Dec 2020 07:44 AM (IST)Updated: Thu, 03 Dec 2020 07:44 AM (IST)
Sankashti Chaturthi 2020: आज संकष्टी चतुर्थी पर इस तरह करें गणेश जी की पूजा, पढ़ें पूरी विधि
Sankashti Chaturthi 2020: आज संकष्टी चतुर्थी पर इस तरह करें गणेश जी की पूजा, पढ़ें पूरी विधि

Sankashti Chaturthi 2020: हिंदू धर्म का एक प्रमुख दिन संकष्टी चतुर्थी है। यह दिन गणेश जी को समर्पित है। गणपति बप्पा को बुद्धि, बल और विवेक का देवता कहा गया है। मान्यता है कि गणेश जी अपने भक्तों की सभी परेशानियों और विघ्नों को हर लेते हैं। इसी के चलते उन्हें संकेटमोचन और विघ्नहर्ता कहा जाता है। संकष्टी चतुर्थी के दिन गणेश जी का व्रत किया जाता है और पूरे विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति इस दिन व्रत करता है उसकी हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही गणेश जी की पूजा करने से घर पर पड़ रहा नकारात्मक प्रभाव दूर हो जाता है और घर में शांति बनी रहती है। यह व्रत सूर्योदय से शुरू होता है और चंद्र दर्शन पर ही समाप्त होता है। आइए जानते हैं कैसे करें संकष्टी चतुर्थी की पूजा-

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संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि:

  • इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त हो साफ वस्त्र धारण करें। इस दिन लाल रंग के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है।
  • इसके बाद पूजा की शुरुआत करें। पूजा के लिए पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह रखना चाहिए।
  • सबसे पहले गणेश जी की मूर्ति को अच्छे से फूलों से सजा लें।
  • पूजा में तिल, गुड़, लड्डू, फूल ताम्बे के कलश में पानी, धूप, चन्दन, केला या नारियल रखें।
  • गणपति को रोली लगाएं। फिर उन्हें फल अर्पित करें और जल चढ़ाएं।
  • गणेश जी को तिल के लड्डू और मोदक का भोग लगाएं।
  • फिर धूप और दीप जलाएं। निम्न मंत्र का जाप करें।

गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्।

उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्।।

  • अगर आप व्रत कर रहे हैं तो पूजा के बाद फल, मूंगफली, खीर, दूध या साबूदाने को छोड़कर और कुछ भी न खाएं।
  • चांद निकलने से पहले एक बार फिर गणेश जी की पूजा करें। फिर संकष्टी व्रत कथा का पाठ करें।
  • चांद देखने के बाद ही व्रत खोलें। सभी को प्रसाद बांट दें।  

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