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आज है सकट संकष्टी चतुर्थी, जानें-पूजा की तिथि और चंद्र दर्शन का शुभ मुहूर्त

ज्योतिषों की मानें तो इस वर्ष सकट का व्रत सौभाग्य योग में शुरू हो रहा है जो 21 जनवरी को 0305 तक रहेगा। इसके बाद शोभन योग लग जाएगा। ये दोनों ही योग गणेश पूजन के लिए अति शुभ है। गणेश पूजन दिन में करने का विधान है।

By Umanath SinghEdited By: Published: Thu, 20 Jan 2022 08:30 PM (IST)Updated: Fri, 21 Jan 2022 09:25 AM (IST)
आज है सकट संकष्टी चतुर्थी, जानें-पूजा की तिथि और चंद्र दर्शन का शुभ मुहूर्त
सिद्ध योग में होगी सकट चौथ की पूजा, जानें-तिथि और चंद्र दर्शन का शुभ मुहूर्त

Sankashti Chaturthi 2022: आज सकट संकष्टी चतुर्थी है। इस दिन विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश की पूजा-उपासना की जाती है। ऐसा मान्यता है कि सकट चौथ करने वाले व्यक्ति के जीवन से सभी दुःख और क्लेश दूर हो जाते हैं। साथ ही व्यक्ति की सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं। धार्मिक ग्रंथों में लिखा है कि विघ्नहर्ता के नाम मात्र स्मरण से सभी विघ्न दूर हो जाते हैं। स्वंय भगवान ब्रह्मा जी ने संकष्टी चतुर्थी व्रत की महत्ता को बताया है। ऐसे में इस व्रत का अति विशेष महत्व है। इस व्रत को महिलाएं अपने पुत्र के दीर्घायु होने के लिए करती हैं। कालांतर में सकट माता ने कुम्हार पुत्र के प्राण की रक्षा की थी। अत: सकट माता को प्राण रक्षा करने वाली माता भी कहा जाता है। आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-

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संकष्टी चतुर्थी पूजा शुभ मुहूर्त

हिंदी पंचांग के अनुसार, संकष्टी चतुर्थी 21 जनवरी को प्रात:काल 8 बजकर 51 मिनट से शूरु होकर 22 जनवरी को 9 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगी। ज्योतिषों की मानें तो इस वर्ष सकट का व्रत सौभाग्य योग में शुरू हो रहा है, जो 21 जनवरी को 03:05 तक रहेगा। इसके बाद शोभन योग लग जाएगा। ये दोनों ही योग गणेश पूजन के लिए अति शुभ है। गणेश पूजन दिन में करने का विधान है। अत: सौभाग्य योग में पूजा करना शुभ रहेगा।

चंद्र दर्शन का शुभ मुहूर्त

सनातन धर्म में सकट चौथ को चंद्र दर्शन का विधान है। सकट चौथ की रात चंद्रमा का उदय 09 बजकर 05 मिनट पर होगा। सकट चौथ रखने वाली महिलाएं रात्रि में 9 बजकर 5 मिनट पर चंद्र दर्शन कर सकती हैं। इस समय चंद्रमा के दर्शन करते हुए जल अर्पित करें।

संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि

इस दिन ब्रह्म बेला में उठें। इसके बाद नित्य कर्म से निवृत होकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान-ध्यान करें। अब सर्वप्रथम आमचन कर भगवान गणेश के निम्मित व्रत संकल्प लें और भगवान भास्कर को जल का अर्घ्य दें। इसके पश्चात, भगवान गणेश जी की षोडशोपचार पूजा फल, फूल, धूप-दीप, दूर्वा, चंदन, तंदुल आदि से करें। भगवान गणेश जी को पीला पुष्प और मोदक अति प्रिय है। अतः उन्हें पीले पुष्प और मोदक अवश्य भेंट करें। अंत में आरती और प्रदक्षिणा कर उनसे सुख, समृद्धि और शांति की कामना करें। दिन भर उपवास रखें। शाम में आरती-अर्चना के बाद फलाहार करें।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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