Move to Jagran APP

Surya Chalisa: सूर्य की पूजा-अर्चना के साथ करें सूर्य चालीसा का पाठ, होता है फलदायी

Surya Chalisa सूर्य को वेदों में जगत की आत्मा और ईश्वर का नेत्र कहा गया है। रविवार का दिन सूर्यदेव को समर्पित है। इस दिन लोग सूर्यदेव की पूजा-अर्चना करते हैं।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Sun, 09 Aug 2020 06:30 AM (IST)Updated: Sun, 09 Aug 2020 06:30 AM (IST)
Surya Chalisa: सूर्य की पूजा-अर्चना के साथ करें सूर्य चालीसा का पाठ, होता है फलदायी
Surya Chalisa: सूर्य की पूजा-अर्चना के साथ करें सूर्य चालीसा का पाठ, होता है फलदायी

Surya Chalisa: सूर्य को वेदों में जगत की आत्मा और ईश्वर का नेत्र कहा गया है। इन्हें जीवन का देवता भी माना गया है। मान्यता है कि सूर्य की आराधना करना किसी भी व्यक्ति के लिए अत्यंत कल्याणकारी हो सकता है। सूर्य एक प्रत्यक्ष देवता हैं। अगर व्यक्ति इनकी उपासना करें तो उन्हें शीघ्र ही शुभ फल की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि जिस व्यक्ति का सूर्य बलवान हो उसे हर सुबह स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। ज्योतिष के अनुसार, नवग्रहों में सूर्य सर्वप्रथम है। इसे पिता के भाव कर्म का स्वामी भी माना गया है। यह जीवन से सभी दुखों को दूर करता है।

loksabha election banner

रविवार का दिन सूर्यदेव को समर्पित है। इस दिन लोग सूर्यदेव की पूजा-अर्चना करते हैं। साथ ही सूर्य को अर्घ्य भी देते हैं। वैसे तो सूर्य को अर्घ्य हर रोज दिया जाता है। लेकिन रविवार का दिन सूर्य को समर्पित है इसलिए यह दिन इस काम के लिए विशेष होता है। इस दिन सूर्य की पूजा-अर्चना के साथ-साथ उनकी आरती भी की जाती है। वहीं, सूर्य चालीसा का भी पाठ किया जाता है। ऐसे में हम आपके लिए सूर्य चालीसा लेकर आए हैं। हम सूर्य चालीसा का वर्णन यहां कर रहे हैं।  

दोहा:

कनक बदन कुंडल मकर, मुक्ता माला अंग।

पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के संग।।

चौपाई:

जय सविता जय जयति दिवाकर, सहस्रांशु सप्ताश्व तिमिरहर।

भानु, पतंग, मरीची, भास्कर, सविता, हंस, सुनूर, विभाकर।

विवस्वान, आदित्य, विकर्तन, मार्तण्ड, हरिरूप, विरोचन।

अम्बरमणि, खग, रवि कहलाते, वेद हिरण्यगर्भ कह गाते।

सहस्रांशु, प्रद्योतन, कहि कहि, मुनिगन होत प्रसन्न मोदलहि।

अरुण सदृश सारथी मनोहर, हांकत हय साता चढ़‍ि रथ पर।

मंडल की महिमा अति न्यारी, तेज रूप केरी बलिहारी।

उच्चैश्रवा सदृश हय जोते, देखि पुरन्दर लज्जित होते।

मित्र, मरीचि, भानु, अरुण, भास्कर, सविता,

सूर्य, अर्क, खग, कलिहर, पूषा, रवि,

आदित्य, नाम लै, हिरण्यगर्भाय नमः कहिकै।

द्वादस नाम प्रेम सो गावैं, मस्तक बारह बार नवावै।

चार पदारथ सो जन पावै, दुख दारिद्र अघ पुंज नसावै।

नमस्कार को चमत्कार यह, विधि हरिहर कौ कृपासार यह।

सेवै भानु तुमहिं मन लाई, अष्टसिद्धि नवनिधि तेहिं पाई।

बारह नाम उच्चारन करते, सहस जनम के पातक टरते।

उपाख्यान जो करते तवजन, रिपु सों जमलहते सोतेहि छन।

छन सुत जुत परिवार बढ़तु है, प्रबलमोह को फंद कटतु है।

अर्क शीश को रक्षा करते, रवि ललाट पर नित्य बिहरते।

सूर्य नेत्र पर नित्य विराजत, कर्ण देश पर दिनकर छाजत।

भानु नासिका वास करहु नित, भास्कर करत सदा मुख कौ हित।

ओठ रहैं पर्जन्य हमारे, रसना बीच तीक्ष्ण बस प्यारे।

कंठ सुवर्ण रेत की शोभा, तिग्मतेजसः कांधे लोभा।

पूषा बाहु मित्र पीठहिं पर, त्वष्टा-वरुण रहम सुउष्णकर।

युगल हाथ पर रक्षा कारन, भानुमान उरसर्मं सुउदरचन।

बसत नाभि आदित्य मनोहर, कटि मंह हंस, रहत मन मुदभर।

जंघा गोपति, सविता बासा, गुप्त दिवाकर करत हुलासा।

विवस्वान पद की रखवारी, बाहर बसते नित तम हारी।

सहस्रांशु, सर्वांग सम्हारै, रक्षा कवच विचित्र विचारे।

अस जोजजन अपने न माहीं, भय जग बीज करहुं तेहि नाहीं।

दरिद्र कुष्ट तेहिं कबहुं न व्यापै, जोजन याको मन मंह जापै।

अंधकार जग का जो हरता, नव प्रकाश से आनन्द भरता।

ग्रह गन ग्रसि न मिटावत जाही, कोटि बार मैं प्रनवौं ताही।

मन्द सदृश सुतजग में जाके, धर्मराज सम अद्भुत बांके।

धन्य-धन्य तुम दिनमनि देवा, किया करत सुरमुनि नर सेवा।

भक्ति भावयुत पूर्ण नियम सों, दूर हटत सो भव के भ्रम सों।

परम धन्य सो नर तनधारी, हैं प्रसन्न जेहि पर तम हारी।

अरुण माघ महं सूर्य फाल्गुन, मध वेदांगनाम रवि उदय।

भानु उदय वैसाख गिनावै, ज्येष्ठ इन्द्र आषाढ़ रवि गावै।

यम भादों आश्विन हिमरेता, कातिक होत दिवाकर नेता।

अगहन भिन्न विष्णु हैं पूसहिं, पुरुष नाम रवि हैं मलमासहिं।

दोहा:

भानु चालीसा प्रेम युत, गावहिं जे नर नित्य।

सुख सम्पत्ति लहै विविध, होंहि सदा कृतकृत्य।।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.