Paush Purnima 2019: जानें क्या है आज पड़ रहे इस दिन का महत्व, इसकी पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
विक्रम संवत के दसवें मास पौष में शुक्ल पक्ष की 15वीं तिथि पौष पूर्णिमा कहलाती है। पंडित दीपक पांडे से जाने आज मनाये जाने वाले इस दिन की पूजन विधि और शुभ मुहूर्त।
अदभुद संयोग के साथ है शुभ मुहूर्त
इस वर्ष पौष मास की पूर्णिमा अर्थात पौष पूर्णिमा अत्यंत शुभ संयोग के साथ पड़ रही है। वैसे भी ये माह सूर्य आैर चंद्र के मिलन का दिन माना जाता है उसके ऊपर से इस बार पूर्णिमा सोमवार को पड़ रही है जो चंद्रमा का दिन माना जाता है। यानि पौष मास का ये खास दिवस सोमवारी पूर्णिमा होने के कारण अत्यंत शुभ बन गया है। इस दिन पूजन का सबसे श्रेष्ठ मुहूर्त प्रात: 6:12 बजे से 10:46 बजे तक का है। वैसे पूरा दिन ही पूर्णमा मानी जायेगी और भक्त गण किसी भी समय पूजा करके लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
होता है सूर्य चंद्रमा का संगम
ज्योतिष के अनुसार पौष को सूर्य देव का माह माना जाता है। कहते हैं कि इस अवधि में सूर्य देव की आराधना करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। पौष पूर्णिमा को पवित्र नदियों में स्नान और सूर्य देव को अर्घ्य देने की परंपरा है। खास बात ये है कि इस दिन सूर्य और चंद्रमा का अनोखा संगम होता है, क्योंकि ये माह सूर्य देव का है जबकि पूर्णिमा चंद्रमा की तिथि होती है। इसीलिए माना जाता है कि इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों की पूजा करके मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं। मोक्ष की कामना रखने वाले भक्त पौष माह की इस पूर्णिमा को बहुत शुभ मानते हैं। इसी दिन से माघ महीने आैर उसके स्नान की शुरुआत भी होती है। इस दिन स्नान के साथ ही दान करने का भी महत्व है।
अन्य नामों से भी मानाते हैं ये पर्व
पौष पूर्णिमा को कुछ इलाकों में अन्य नामों के साथ भी मनाया जाता है। जैसे इसी दिन शाकंभरी जयंती भी मनाई जाती है। वहीं जैन धर्म के मानने वाले पुष्याभिषेक यात्रा की शुरुआत इसी दिन करते हैं। छत्तीसगढ के कई आदिवासी ग्रामीण इलाकों के लोग इसी दिन छेरता पर्व मनाते हैं। इस वर्ष पौष पूर्णिमा का व्रत एवम् पूजन 21 जनवरी को किया जायेगा।
ये है शुभ मुहूर्त पूजन विधि
हालांकि इस वर्ष पौष पूर्णिमा तिथि आरंभ 20 जनवरी 2019 को दोपहर 14:19 बजे से हो जायेगा, परंतु पूजन का सर्वोत्म समय 21 जनवरी 2019 को प्रातःकाल 6:12 से सुबह 10:46 बजे तक का होगा। इस दिन सूर्य देव की आराधना का विशेष महत्व है आैर स्नान, दान, जप और व्रत करने से पुण्य की प्राप्ति होती। इस दिन पूजा करने के लिए सबसे पहले स्नान से पूर्व व्रत का संकल्प लें। इसके पश्चात वरुण देव को प्रणाम करते हुए किसी पवित्र नदी या कुंड में स्नान करें। स्नान के बाद सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए भगवान भुवन भास्कर को अर्घ्य दें। इसके बाद श्री कृष्ण की पूजा करें और उन्हें प्रसाद चढ़ायें। इसके बाद दान दक्षिणा करें जिसमें तिल, गुड़, कंबल और ऊनी वस्त्र विशेष रूप से शामिल करने का प्रयास करें।