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Papankusha Ekadashi Vrat Vidhi: आज है पापांकुशा एकादशी, जानें मुहूर्त और पूजा-विधि

Papankusha Ekadashi Vrat Vidhi आज पापांकुशा एकादशी है। कृष्ण और शुक्ल पक्ष की ग्याहरवीं तिथि को एकादशी का व्रत किया जाता है। वहीं अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की ग्याहरवीं तिथि को पापांकुशा एकादशी का व्रत किया जाता है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Tue, 27 Oct 2020 06:00 AM (IST)Updated: Tue, 27 Oct 2020 06:25 AM (IST)
Papankusha Ekadashi Vrat Vidhi: आज है पापांकुशा एकादशी, जानें मुहूर्त और पूजा-विधि
Papankusha Ekadashi Vrat Vidhi: आज है पापांकुशा एकादशी, जानें मुहूर्त और पूजा-विधि

Papankusha Ekadashi Vrat Vidhi: आज पापांकुशा एकादशी है। कृष्ण और शुक्ल पक्ष की ग्याहरवीं तिथि को एकादशी का व्रत किया जाता है। वहीं, अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की ग्याहरवीं तिथि को पापांकुशा एकादशी का व्रत किया जाता है। इस बार यह तिथि 27 अक्टूबर यानी आज है। इस दिन विष्णु जी के स्वरूप भगवान पद्मनाभ की अराधना की जाती है। मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से व्यक्ति को तप के समान फल प्राप्त होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अगर विष्णु जी का व्रत सच्चे मन से किया जाए तो व्यक्ति के सभी पापों का नाश हो जाता है। आइए जानते हैं पापांकुशा एकादशी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

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पापांकुशा एकादशी का मुहूर्त:

एकादशी तिथि प्रारंभ: 26 अक्टूबर 2020 सुबह 09:00 बजे से

एकादशी तिथि समाप्त: 27 अक्टूबर 2020 सुबह 10:46 बजे तक

व्रत पारण: 28 अक्टूबर 2020 सुबह 08:44 बजे तक

इस तरह करें पापांकुशा एकादशी की पूजा:

  • पापांकुशा एकादशी से एक दिन पहले यानी दशमी तिथि वाले दिन सूर्योदय से पहले भोजन ग्रहण कर लेना चाहिए। इस दिन रात को भोजन न करें जिससे एकादशी वाले दिन आपके पेट में अन्न का एक भी अंश न रहे।
  • एकादशी का व्रत निर्जला रखा जाता है। अगर व्यक्ति चाहें तो वो फलाहार भी यह व्रत कर सकता है। इस दिन अन्न का सेवन नहीं किया जाता है।
  • एकादशी के दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठना चाहिए। सभी नित्यकर्मों से निवृत्त हो जाएं और स्नानादि के बाद भगवान के सामने व्रत का संकल्प लें।
  • फिर एक साफ आसन या पटरी लें और उस पर स्वच्छ कपड़ा बिछाएं। इस पर विष्णु जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
  • आसन पर कलश भी स्थापित करें। फिर विधि-विधान से विष्णु जी की पूजा-अर्चना करें। इसके बाद विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
  • रात में भगवान विष्णु का भजन करे। फिर सुबह यानी द्वादशी तिथि के दिन उठकर ब्राह्मण को भोजन करवाएं। साथ ही दक्षिणा दें। द्वादशी तिथि पर ही व्रत का पारण करें।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। '


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