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Panchmukhi Hanuman: हनुमान जी ने क्यों लिया था पंचमुखी अवतार? जानें वजह और पूजा का विशेष महत्व

Panchmukhi Hanuman हनुमान जी भक्तों पर आने वाले संकट को तुरंत हर लेते हैं इसी कारण उनको संकटमोचन के नाम से भी जाना जाता है। एक बार भगवान श्री राम के भी संकट में पड़ जाने पर हनुमान जी ने पंचमुखी अवतार लेकर उन्हे भी संकट से उबारा था।

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Tue, 15 Jun 2021 08:32 AM (IST)Updated: Tue, 15 Jun 2021 08:32 AM (IST)
Panchmukhi Hanuman: हनुमान जी ने क्यों लिया था पंचमुखी अवतार? जानें वजह और पूजा का विशेष महत्व

Panchmukhi Hanuman: हनुमान जी अपने भक्तों पर आने वाले किसी भी प्रकार के संकट को तुरंत हर लेते हैं, इसी कारण हनुमान जी को संकटमोचन के नाम से भी जाना जाता है। वैसे तो हनुमान जी स्वयं भगवान श्री राम के अनन्य भक्त हैं और सदैव उनके नाम का स्मरण करते रहते हैं, लेकिन एक बार भगवान श्री राम के भी संकट में पड़ जाने पर हनुमान जी ने पंचमुखी अवतार लेकर उन्हे भी संकट से उबारा था। आइए जानते हैं हनुमान जी के पंचमुखी अवतार के बारे में।

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हनुमान जी का पंचमुखी अवतार

रामायण के प्रसंग के अनुरूप, लंका युद्ध के समय जब रावण के भाई अहिरावण ने अपनी मायवी शक्ति से स्वयं भगवान श्री राम और लक्ष्मण को मूर्क्षित कर पाताल लोक लेकर चला गया था। जहां अहिरावण ने पांच दिशाओं में पांच दिए जला रखे थे। उसे वरदान था कि जब तक कोई इन पांचों दीपक को एक साथ नहीं बुझएगा, अहिरावण का वध नहीं होगा। अहिरावण की इसी माया को सामाप्त करने के लिए हनुमान जी ने पांच दिशाओं में मुख किए पंचमुखी हनुमान का अवतार लिया और पांचों दीपक को एक साथ बुझाकर अहिरावण का वध किया। इसके फलस्वरूप भगवान राम और लक्ष्मण उसके बंधन से मुक्त हुए।

पंचमुखी हनुमान के पांचों मुख का महत्व

पंचमुखी हनुमान जी के पांचों मुख पांच अलग-अलग दिशाओं में हैं एवं इनके अलग-अलग महत्व हैं।

वानर मुख: यह मुख पूर्व दिशा में है तथा दुश्मनों पर विजय प्रदान करता है।

गरुड़ मुख: यह मुख पश्चिम दिशा में है तथा जीवन की रुकावटों और परेशानियों का नाशक है।

वराह मुख: यह मुख उत्तर दिशा में है तथा लंबी उम्र, प्रसिद्धि और शक्ति दायक है।

नृसिंह मुख: यह दक्षिण दिशा में है, यह डर, तनाव व मुश्किलें दूर करता है।

अश्व मुख: यह मुख आकाश की दिशा में है एवं मनोकामनाएं पूरी करता है।

पंचमुखी हनुमान की पूजा विधि

पंचमुखी हनुमान जी की प्रतिमा या चित्र को सदैव दक्षिण दिशा में लगाना चाहिए। मंगलवार हनुमान जी की पूजा का विशेष दिन होता है, इस दिन लाल रंग के फूल, सिंदूर और चमेली का तेल अर्पित करने का विशेष महत्व है। इसके साथ गुड़ व चने का भोग लगाना चाहिए एवं सुंदरकाण्ड या हनुमान चालीसा पढ़ने से विशेष लाभ होता है। इसके अतिरिक्त घर के दक्षिण-पश्चिम कोने में पंचमुखी हनुमान का चित्र लगाने से सभी तरह के वास्तुदोष मिट जाते हैं।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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